करोड़ों के केज आबंटन में करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले में जांच जारी : कलेक्टर

 


राजनांदगांव /रायपुर, 30 मई (हि.स.)। मत्स्य विभाग राजनांदगांव में मछली पालन के लिए अपने ही करीबियों के नाम पर करोड़ों के केज आबंटन कर शासन की योजनाओं से मिलने वाली सब्सिडी पर करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले में राजनांदगांव कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा है कि मामले की जांच की जा रही है। मत्स्य विभाग संचालनालय इस भ्रष्टाचार की जांच कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि केज कल्चर एक ऐसी तकनीक है, जिसमें एक संलग्न जगह/ केज होता है। जो आसपास के जल स्रोत जैसे तालाब झील इत्यादि के साथ पानी के मुक्त आदान-प्रदान को बनाए रखती है।यह केज गोल ओर एवं चकोर आकार में होता है जिसमें ऊँगली के आकार के मछली बीज को डाला जाता है और फिर इस केज को नदी, तालाब, समुद्र इत्यादि में रख दिया जाता है ताकि मछली को बाजार में बेचने योग्य वजन तक ले जाया जा सके।केज कल्चर की शुरुआत सबसे पहले 1800 में कंबोडिया में हुई थी, जहां मछुआरे क्लैरियस प्रजाति की मछलियों को पिंजरे में रखते थे।

मत्स्य विभाग संचालनालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिंचाई जलाशय में लगाए गए 4 केज में से एक भुवन पोर्ते के नाम पर आबंटित हुआ है।लेकिन भुवन पोर्ते को इसकी जानकारी नहीं है। मत्स्य विभाग ने इस केज के तीन साल के लीज वसूली के लिए जब उसे नोटिस जारी किया तो वह हड़बड़ा कर विभाग पहुंचा। अधिकारियों ने उसे सारी जानकारी दीमत्स्य इसके बाद भुवन पोर्ते ने कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और सहायक संचालक के पास अपनी शिकायत दर्ज कराई तब मामले का खुलासा हुआ।

जानकारी के अनुसार राजनांदगांव मत्स्य विभाग में पदस्थ तत्कालीन सहायक संचालक गीतांजलि गजभिए ने अपने कार्यालय में ही पदस्थ कर्मी की नाबालिग बेटी, अपनी ननद, वाहन चालक की मां और एक अन्य आदिवासी व्यक्ति के नाम पर लाखों का केज का आबंटन कराया। यह केज खैरागढ़ – छुईखदान – गंडई जिले के नवागांव स्थित सिंचाई जलाशय में लगाए गए हैं। प्रत्येक यूनिट में 18 केज शामिल हैं। इस तरह यहां कुल 72 केज लगाए गए हैं। इन 4 यूनिट केज में से प्रत्येक की कीमत 56 लाख है। इसमें लाभार्थियों को प्रत्येक केज के लिए शत प्रतिशत सब्सिडी दी गई है। इसमें प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से 60 प्रतिशत और लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिस्म डिवीजन से 40 प्रतिशत यानी कुल 100 प्रतिशत आर्थिक सहायता मिली है मत्स्य इस तरह संयुक्त संचालक कार्यालय के अधिकारियों ने बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम देते हुए दो करोड़ 24 लाख रुपए के केज अपने रिश्तेदार और विभाग में पदस्थ कर्मियों के रिश्तेदारों के नाम पर आबंटित करा लिए ।प्रत्येक केज के लिए वार्षिक तौर पर अदा किए जाने वाले 7 हजार दो सौ रुपए का भुगतान भी 3 सालों से नहीं किया गया है।यह राशि लगभग 15 लाख रुपये है। इस लीज की रकम वसूली के लिए वास्तविक लाभार्थियों को नोटिस मिलने के बाद ही केज आबंटन में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है।

हिन्दुस्थान समाचार /केशव शर्मा