धमतरी की आयुर्वेदिक रसशाला में मिलेगा जड़ी-बूटियों का जूस
धमतरी, 10 अक्टूबर (हि.स.)।धमतरी जिले के वंनाचल ग्राम सिंगपुर (बूटीगढ़) में आयुष रसशाला (औषधीय पेय केंद्र) की स्थापना हुई है। प्रदेश का यह पहला आयुर्वेदिक रसशाला है, जहां जड़ी- बुटियों का औषधीय जूस, अर्क और क्वाथ मिलेगा। इस नवाचार के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आयुष विभाग और धमतरी जिला प्रशासन की सराहना की है और ज्यादा से ज्यादा वन संपदा को सहेजने के साथ आयुर्वेद के बारे में लोगों को जागरूक करने कहा है। बूटीगढ़ क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से औषधि गुणयुक्त पौधे पाए जाते हैं, इसलिए यहां हर्बेरियम का निर्माण किया जा रहा है। औषधि गुणयुक्त पौधों के संवर्धन, प्रचार-प्रसार और उपयोगिता के लिए रसशाला निर्मित किया जा रहा है। इस रसशाला के माध्यम से स्थानीय लोगों, छात्रों और पर्यटकों को औषधीय गुणों वाला जूस मिल सकेगा।
कलेक्टर नम्रता गांधी ने कहा कि आयुर्वेद में पानी का महत्व अनमोल है। धमतरी जिले में जल जगार कार्यक्रम के माध्यम से जल संरक्षण के साथ-साथ आयुर्वेदिक पेय पदार्थों और औषधियों की उपयोगिता को भी प्रदर्शित किया गया। प्रदर्शनी में आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने बूटीगढ़ और रसशाला के महत्व को बताया कि कैसे एक परिवार और समाज शुद्ध पानी और आयुर्वेदिक खानपान को अपनाकर स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
हृदय रोगियों के लिए रामबाण है अर्जुन क्षीरपारक
डा अवध पचौरी के अनुसार कोविड काल के बाद से ही लगातार ये देखा जा रहा है कि अचानक हार्ट अटैक से किसी भी उम्र वर्ग के व्यक्ति की आन-द- स्पाट मृत्यु हो रही है। जान बचाने के लिए समय भी नहीं मिल पा रहा है। यह चिंता का विषय है। आयुर्वेद में अर्जुन पेड़ की छाल से बने अर्जुन क्षीरपाक के नियमित सेवन इंस्टेंट हार्ट अटैक के मामलों में कमी लाई जा सकती है। अर्जुन की छाल में विशेष औषधीय गुण होते हैं, जो हृदय की धमनियों को मजबूती प्रदान करता है और हृदय की मांसपेशियों को शक्ति देता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यधिक लाभकारी है, जिन्हें हृदय संबंधी समस्याएं हैं।
बूटीगढ़ में लगाए गए 25 हजार पौधे:
आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डा अवध पचौरी ने बताया कि 160 प्रकार की जड़ी-बूटियों को चिन्हित किया गया है। पहले चरण में बूटीगढ़ में 25 हजार पौधे लगाए गए हैं। इनमें से कुछ ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जिन्हें आयुर्वेदिक उपचार के लिए चूर्ण या टैबलेट बनाकर इस्तेमाल भी किया जा रहा है। समय के साथ जब बूटीगढ़ विकसित होने लगेगा तो रसशाला के जरिए लोगों कोआयुर्वेद के प्रति जागरूक किया जा सकता है। बूटीगढ़ में विलुप्त होने वाली जड़ी-बूटियों को भी सहेजा जा रहा है, ताकि भविष्य में इन पर शोध हो सके। उन्होंने बताया कि वर्तमान में विभिन्न आयुष केंद्रों में योग करने आये लोगों, मरीजों, गर्भवती महिलाओं, किशोर-किशोरियों व बच्चों को विभिन्न जड़ी-बूटियों से बना काढ़ा औषधी स्वरूप दिया जा रहा है।
औषधीय गुणों से भरे पेड़-पौधों को लेकर जागरूक बने लोग:
जिला आयुष अधिकारी डा गुरूदयाल साहू ने बताया कि हाल ही में जिले में हुए जल जगार महोत्सव में आयुष विभाग की प्रदर्शनी में बूटीगढ़ और रसशाला की प्रदर्शनी में मुनगा (सहजन) जैसे पौधों के औषधीय गुणों को भी प्रदर्शित किया गया। मुनगा का सूप बनाने की विधि बताई गई। साथ ही विभिन्न जड़ी-बूटियों का अर्क डिस्टिलेशन प्रक्रिया के माध्यम से निकाला गया। बूटीगढ़ और रससाला का उद्देश्य ही यही है कि आमजनों को ज्यादा से ज्यादा औषधीय गुणों से भरे पेड़-पौधों को लेकर जागरूक किया जाए। राशि रत्न पौधों को लगाने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। ज्यादा से ज्यादा औषधीय पौधरोपण से प्रकृति को भी सहेजा जा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा