राष्ट्रीय नाट्य समारोह : सधे और सहज संवाद से ''प्रेम पत्र'' में डूबे रहे दर्शक

 






बेगूसराय, 05 दिसम्बर (हि.स.)। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की स्वायत्तशासी संस्था उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज द्वारा दिनकर भवन बेगूसराय में आयोजित राष्ट्रीय नाट्य समारोह के तीसरे दिन राजस्थान से आई ''द औरेंज मून'' के कलाकारों ने नाटक ''प्रेम पत्र'' का मंचन किया। जिसके लेखक और निर्देशक हैं चिन्मय मदान।

''प्रेम पत्र'' एक सरल और सीधी सी बात कहता है कि प्रेम हमारी सारी जरूरतों से पहले की जरूरी चीज है। हमारे सभी महत्वपूर्ण कामों से पहले किया जाने वाला एक आवश्यक काम है। जिसे द औरेंज मून के कलाकारों ने बड़े ही मजाकिया तरीके से दर्शकों के सामने रखा। कलाकारों का अभिनय सधा और संवाद सहज था। जिससे दर्शकों का जुड़ाव आसान हो गया।

नाटक अपने अंत तक जाते-जाते दर्शकों के मन में कई प्रश्न छोड़ जाती है। यदि आप वर्षों तक अपने प्रेमी को देख नहीं सकते या उससे बात नहीं कर सकते तो प्रेम कैसे अस्तित्व में रह सकता है। क्या भोजन आपके परिवार को वापस एक साथ लाने में मदद कर सकता है। क्या हम इस भौतिकवादी दुनियां में अपने अंदर के बच्चे को जीवित रख पा रहे हैं क्या कोई मां अपनी बेटी को छोड़ सकती है?

ऐसे कई सवाल जो नाटक बड़े ही सांकेतिक तरीके से दर्शकों के सामने रखती है। ''प्रेम पत्र'' एक बहुसंवेदी अनुभव है जो प्रेम की चार अलग-अलग कहानियों के इर्द-गिर्द घूमती है। कलाकारों के मजबूत अभिनय, पार्श्व ध्वनि एवं दृश्य को मायने देने वाली प्रकाश परिकल्पना और बेहतरीन निर्देशन के कारण नाटक ''प्रेम पत्र'' अपना संदेश दर्शकों तक पहुंचाने में सफल रही।

कलाकारों में मुख्य रूप से चिन्मय मदान, संजय, मिली, ट्विंकल विजय, एंजेला, भूपेन्द्र, एवं युवराज थे। मंच प्रबंधक चेल्सी पाठक एवं कैमरा ऑपरेटर मान मदन थे। प्रकाश परिकल्पना विमल का था। संगीत स्वप्निल ध्यानी, नाटक के डिजाइनर कैथरीन केशी एवं निर्देशक चिन्मय मदान के बेहतरीन समन्वय ने नाटक को शानदार बना दिया तथा दर्शकों को बांधे रखा।

नाटक मंचन के बाद स्वायत्तशासी संस्था उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के कार्यक्रम अधिकारी अजय गुप्ता ने पूरे नाट्य समूह को शुभकामनाएं दी। जबकि, नाटक के लेखक और निर्देशक चिन्मय मदान को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी के निदेशक प्रवीण गुंजन के हाथों अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कुल मिलाकर कहें तो नाटक ने रंगमंच की खूबसूरती का बखूबी प्रदर्शन किया।

हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा