बिहार सरकार की ‘हर घर नल का जल’ योजना बना हाथी का दांत, ग्रामीणों को नहीं मिल रहा पानी
भागलपुर, 1 सितंबर (हि.स.)। बिहार सरकार का महात्वाकांक्षी योजना हर घर नल का जल, जिसका उद्देश्य हर घर तक पानी पहुंचाना था। अब लोगों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच थी कि इस योजना के जरिए ग्रामीण क्षेत्र के गरीब तबके लोगों को पानी की सुविधा मिलेगी और महिलाओं को पानी के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। शुरुआत में इस योजना की देखरेख पंचायत मुखिया और वार्ड सदस्य करते थे, लेकिन जब से इसकी जिम्मेदारी पीएचईडी विभाग को सौंपी गई है, तब से यह योजना बेकार साबित हो रही है और सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई है। ताजा मामला भागलपुर जिले के सन्हौला प्रखंड के अरार पंचायत के वार्ड नंबर 2 का है।
वार्ड नंबर 2 के ग्रामीणाें ने बताया कि पाइपलाइन बिछा दी गई है, नल भी लगा दिया गया है, लेकिन पानी की सप्लाई नहीं होती है। ग्रामीणों ने वार्ड सदस्य सह ऑपरेटर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब भी पानी चलाने को कहा जाता है तो वह बहाने बनाता है कि कभी मोटर खराब है, तो कभी तार जल गया है। 200 लोगों को एकमात्र सरकारी चापाकल पर निर्भर रहना पड़ता है। पानी के लिए डब्बा और बाल्टी लेकर घंटों तक इंतजार करना पड़ता है। पानी के लिए कभी कभी झगड़ा भी हो जाता है। यदि वह भी खराब हो जाता है, तो उसे चंदा इकठ्ठा करके ठीक करवाना पड़ता है। पीएचईडी विभाग द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
ग्रामीणों का आरोप है कि ऑपरेटर अपनी मनमानी करता है और सिर्फ अपने मन मुताबिक पानी सप्लाई करता है। जब उसे अपने खेत की सिंचाई करनी होती है, तभी वह पानी चलाता है। शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती। वहीं दूसरी ओर वार्ड नंबर 8 के दर्जनों महिलाओं ने कहा कि दो साल से नल में पानी नहीं आया है। पानी की किल्लत के कारण खाना बनाने में दिक्कत होती है। छोटे-छोटे बच्चे बिना नहाए स्कूल चले जाते हैं। हम लोग दूसरे के घरों में लगे निजी बोरिंग से पानी लाने को मजबूर हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर