पति के लंबी उम्र के लिए सुहागिनों ने की वट सावित्री की पूजा

 




भागलपुर, 06 जून (हि.स.)। जिले भर में सुहागिनों ने गुरुवार को अपने पति के लंबी उम्र के लिए वट सावित्री की पूजा की। इस अवसर पर सुहागिन महिलाएं सुबह फल और पकवान से डलिया भरकर वट वृक्ष की पूजन के लिए तैयार हुईं। सुबह से ही वट वृक्ष की समीप सुहागिन महिलाओं की पूजा अर्चना के लिए भीड़ लगी रही।

पति परमेश्वर की दीर्घायु की कामना के लिए महिलाएं वट सावित्री व्रत करती है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय हो कि सावित्री ने वट वृक्ष की पूजा और व्रत करके ही अपने सतीत्व और तप के बल से अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से जीतकर पुनः जीवित कर लिया था। यही कारण है कि इस व्रत का नाम वट वृक्ष सावित्री पड़ा। वट सावित्री व्रत के पूर्व महिलाएं नए कपड़े पहन कर सोलह सिंगार करती हैं। अपने हाथ में मेहंदी रचाती हैं। पांच तरह के फल पकवान से डलिया भरा जाता है। वट वृक्ष के समक्ष डलिया खोलकर बांस के पंखे पर पकवान आदि रखकर सावित्री और सत्यवान की कथा कही और सुनी जाती है। वट वृक्ष के में कच्चा धागा लपेटकर तीन या पांच बार परिक्रमा की जाती है। वट वृक्ष को जल देकर तथा कच्चा धागा गले में पहनती हैं। वट वृक्ष की पूजा के समय महिलाएं अपने-अपने बाल में बरगद के पत्ते को लगाती है। बांस पंखा भी लाल धागा बांधकर पूजा करने के बाद वट वृक्ष को ही पहले पंखा झलने की परंपरा रही है। इसके बाद पति पर पंखा चलाती है।

नवविवाहिता अपने घर से सज- धज कर माथे पर जल भरकर कलश लेकर जाती हैं। परिवार एवं अन्य महिलाएं उसके साथ पारंपरिक गीत गाती हुई वट वृक्ष के समीप पहुंच पूजा करती है। पहली बार पूजा करने वाली महिलाओं को बांस के 14 पंखा पूजा में रखना पड़ता है। महिलाओं का महत्वपूर्ण पर्व होने के कारण इस व्रत का महिलाओं को बेसब्री से इंतजार रहता है।

हिन्दुस्थान समाचार/बिजय

/चंदा