''पगला घोड़ा'' के साथ हो गया राष्ट्रीय नाट्य समारोह का शुभारंभ

 










बेगूसराय, 03 दिसम्बर (हि.स.)। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज द्वारा बेगूसराय के दिनकर भवन में आयोजित पांच दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य समारोह का शुभारंभ बीते रात हो गया। महोत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र से आई ''मंच मुंबई'' की टीम द्वारा नाटक ''पगला घोड़ा'' की सफल प्रस्तुति से हुई। जिसका निर्देशन किया विजय कुमार ने।

सुप्रसिद्ध नाटककार बादल सरकार द्वारा 1960 के दशक में लिखा गया नाटक ''पगला घोड़ा'' बांग्ला और हिंदी दोनों भाषाओं में अनेक बार मंचित हो चुका है। ''पगला घोडा'' को एक मनोवैज्ञानिक कथा की श्रेणी में रखा जा सकता है। तत्कालीन पुरुष-प्रधान समाज में स्त्री की स्वीकार्यता पुरुष के शर्तों पर ही हो सकती थी। कमोवेश स्थिति आज भी वही है और इस तथ्य की व्याख्या पगला घोड़ा के कथानक में बखूबी हुआ है।

जिसे मंच पर उपस्थित कलाकारों ने अपने अभिनय के माध्यम से और जीवंत कर दिया। दर्शकों ने नाटक को पूरी तन्मयता के साथ देखा भी। बंगला में एक प्रसिद्द बाल कविता है ''आम का पत्ता जोड़ा-जोड़ा, मारा चाबुक दौड़ा घोड़ा, छोड़ रास्ता खड़ी हो बीबी, आता है यह पगला घोड़ा।'' नाटककार ने इस कविता के भाव को अपने नाटक में ‘स्त्री-पुरुष प्रेम की परिणति'' के रूप में अनुवादित कर कथा का सृजन किया है।

जिसका शीर्षक दिया पगला घोडा। ‘पगला घोड़ा’ यहां पुरुष के प्रति स्त्री के प्रेम भाव का द्योतक है। जिसकी लगाम स्त्री के हाथ में नहीं, बल्कि पुरुष के हाथ में हुआ करता है, जो उसे रौंद कर आगे बढ़ जाता है। चिता पर जलती हुई लड़की की आत्मा बार-बार इस कविता का प्रयोग करती है। नाटक में इसके माध्यम से स्त्री को ‘प्रेम-ज्वार’ यानि पगला घोड़े के रास्ते में नहीं आने की चेतावनी देती प्रतीत होती रही।

कलाकारों का अभिनय और संवाद सहज, रोचक और नाटक में जीवंतता भर देने वाली थी। कलाकारों में मुख्य रूप से कृति गुप्ता, प्रमोद सचान, विश्व भानु एवं विवेक हरबोला ने अपने अभिनय से दर्शकों पर प्रभाव छोड़ा। पांच दिवसीय नाट्य समारोह की परिकल्पना उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज के निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा द्वारा किया गया। नाटक के अंत में केंद्र प्रतिनिधि अजय गुप्ता ने संस्थान के कार्यों और आगामी कार्यक्रम की चर्चा किया।

मंचन के पूर्व मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद प्रो. राकेश सिन्हा, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी के निदेशक प्रवीण कुमार गुंजन, आर्यभट्ट के निदेशक प्रो. अशोक कुमार सिंह अमर, शिक्षाविद राजकिशोर सिंह, विश्वरंजन प्रसाद सिंह राजू, एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज के कार्यक्रम अधिकारी अजय गुप्ता ने दीप प्रज्वलित कर का उद्घाटन किया। मंच का संचालन कर रहे थे कुमार अभिजीत मुन्ना।

उद्घाटन के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांसद प्रो. राकेश सिन्हा ने नाटकों के इतिहास एवं वाणभट्ट द्वारा रचित कालजयी उपन्यास कादंबरी पर चर्चा कर कला भवन में उपस्थित दर्शकों से साहित्य और समाज के वर्तमान हालात पर सीधा संवाद किया। उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास और ज्ञान परंपरा दुनिया में सबसे उन्नत है। यहां के गंगाधर शास्त्री ने अपने भारतीयता से साम्यवाद के सामने कभी समझौता नहीं किया।

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भारत को नहीं देखा, अपने पड़ोसी को नहीं देखा, वह विदेश जाकर गूगल पर हिंदुस्तान को ढूंढते हैं। देश के किसी भी हिस्से में चल जाएं, उसके गुण, संस्कृति, ऊर्जा, नृत्य और परंपरा को देखें तो पूरा विश्व हिंदुस्तान में समाया मिलेगा। गूगल की यात्रा बंद करें, गूगल को मालिक नहीं, नौकर की तरह उपयोग करें। सोशल मीडिया की धूम है, लेकिन थिएटर-नाटक के सामने सोशल मीडिया कुछ भी नहीं है। जागरूकता बढ़ाने के लिए साझा प्रयास करें।

हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा