गंगा मुक्ति आंदोलन की बैठक

 


भागलपुर, 9 सितंबर (हि.स.)। भागलपुर के कला केंद्र में सोमवार गंगा मुक्ति आंदोलन की बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता अर्जुन शर्मा तथा संचालन रंजीत मंडल ने किया। बैठक में 14 – 15 सितंबर को आयोजित गंगा मुक्ति आंदोलन के होने वाले कार्यक्रम की तैयारी पर मुख्य रूप से चर्चा हुई।

उदय ने बताया कि गंगा मुक्ति आंदोलन के कारण भागलपुर जिले के सुल्तानगंज से पीरपैंती तक 80 किलोमीटर में बादशाह अकबर के समय से चल रही जमींदारी खत्म हुई और बिहार की तमाम नदियां पारंपरिक मछुआरों के लिए टैक्स फ्री की गई। ताकि मछुओं की आजीविका सुनिश्चित की जाय और बिहार में पलायन रुके। लेकिन अकर्मण्य और भ्रष्ट अफसरशाही के कारण टैक्स फ्री का लाभ नहीं मिल पा रहा है। नदियों और जलकरों की चोरी मत्स्य विभाग द्वारा की जा रही है। ऊपर से सैंक्चूरी के नाम पर मछुओं की आजीविका छीनी जा रही है। बांध बराज तटबंध नदी जोड़ योजना बनाकर गंगा और नदियों की अविरलता और निर्मलता समाप्त की जा रही है। नमामि गंगे के नाम पर पैसे की लूट मची है।

यह योजना गंगा को साफ करने में नाकाम रही है। छोटी नदियां मर रही हैं। छोटी नदियां बड़ी नदियों को बनाती है। जब गंगा मर जायेगी तो न मछली बचेगी न मछुए न डॉल्फिन। ऐसे में समग्र गंगा को बचाने की जरूरत है। गंगा मुक्ति आंदोलन अब नए दौर में प्रवेश कर रहा है। 14 सितंबर के आयोजन में बिहार के अलावा दूसरे राज्यों से भी महत्वपूर्ण साथी जुड़ेंगे। इस कार्यक्रम में वैसे पुराने साथी भी आ रहे हैं जो गंगा मुक्ति आंदोलन से जुड़े रहे हैं। कार्यक्रम वैचारिक बातों के अतिरिक्त सांगठनिक और रणनीतिक चर्चा भी होगी।

बैठक में शामिल साथियों ने कहा कि आज जब दुनियां जलवायु संकट और ग्लोबल वार्मिंग झेल रहा है। भूजल स्तर नीचे जा रहा वैसे में गंगा मुक्ति आंदोलन को अहम भूमिका निभाने की जरूरत है। बैठक में भानु उदयन, रविन्द्र कुमार सिंह, शारदा श्रीवास्तव, ललन, स्मिता, सार्थक भरत, राहुल, उदय, मनोज, गौतम, रामकिशोर, तेज बसंत सहित अन्य लोग उपस्थित हुए।

हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर