अपराधी-शराब कारोबारी के साथ साथ जन संतुष्टि होगी पुलिस की प्राथमिकता : डीआईजी मनोज

 


सहरसा, 19 जनवरी (हि.स.)। सहरसा रेंज के डीआईजी का पद आईपीएस मनोज कुमार को सौंपा गया है। डीआईजी मनोज कुमार योगदान देने के साथ सहरसा रेंज के सभी पुलिस अधिकारियों के साथ शुक्रवार को बैठक की । बैठक में उन्होंने कहा कि क्षेत्र में भूमि विवाद,अपराधियों और शराब कारोबारी पर कार्रवाई करना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही काम जनता के हित में भी करना महत्वपूर्ण है। ताकि पुलिस के प्रति जन संतुष्टि बढ़े और लोग पुलिस पर भरोसा कर अपनी परेशानी शेयर कर सके।

मनोज कुमार ने रेंज के सभी थानेदार को यह निर्देश दिया कि थाना में आने वाले चाहे वह फरियादी हो या फिर आम नागरिक उसके साथ अच्छे से पेश आए । उनकी पूरी बातों को सुने उनको यह नहीं लगे की पुलिस हमारे परिवार का अंग नहीं है । उनका भरोसा जीतना ही पुलिस की नौकरी की सबसे बड़ी उपलब्धि है। अपने परिवार के समान उनका सम्मान करना उनके सुख-दुख में सरकार द्वारा दिए गए जिम्मेवारी का कानूनी रूप से निर्वहन करना ताकि आम जन तक पुलिस की छवि पहुंचे । लोग उम्मीद नहीं भरोसे के साथ काहे की बिहार की पुलिस हमारे साथ अन्याय नहीं होने देगी।

मनोज कुमार ने भूमि विवाद को लेकर साफ-साथ थानेदारों को हिदायत दे दी है कि संबंधित सीओ के साथ मिलकर थानेदार जमीन विवाद में काम करें। काम बिल्कुल ईमानदारी और निष्पक्ष होना चाहिए। भू-मफियाओं का लिस्ट तैयार कर उन पर अपने सोर्स से नजर रखना है, ताकि किसी प्रकार की विधि व्यवस्था की समस्या उनके द्वारा उत्पन्न नहीं किया जाए। अगर इस तरह की संलिप्त आती है तो तत्काल उनके खिलाफ कार्रवाई हो वही कहा कि किसी प्रकार का विधि व्यवस्था और अन्य चीज अगर भूमि विवाद में होता है तो संबंधित पुलिस पदाधिकारी कि यह उदासीनता होगी और उनके खिलाफ विधि संवत जांच कर कठोर कार्रवाई होगी।

डीआईजी ने अपने क्षेत्र के सभी पुलिस अधीक्षक, उपाधीक्षक और कोतवाल की बैठक में कहा कि अपने-अपने क्षेत्र के सभी दुर्दांत अपराधियों और अवैध शराब कारोबारी का एक खाका तैयार कर ले जिसमें उनका नाम पता के साथ-साथ किस कांड में कितनी बार जेल गए हैं या फरारी हैं। जेल से छूटने के बाद क्या कर रहे हैं । इस तरह का एक डाटा तैयार कर उनके खिलाफ विशेष रूप से कार्रवाई करें ।ताकि आमजन को पुलिस से संतुष्टि मिले और अमन चैन से आमजन रह सके। केस के अनुसंधान कर्ता अपनी-अपनी केस के अनुसंधान का पैमाना ठीक करे ताकि जेल भेजे जा रहे अपराधियों के खिलाफ ट्रायल चलाने में पुलिस को मदद मिले। उन्हें सजा हो इतना ही नहीं कहा कि केस के अनुसंधान में लेट लतीफी या खानापूर्ति किसी हद तक दिखाई दे दी या प्रतीत हो गया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

हिन्दुस्थान समाचार/मनोज/गोविन्द