नयी अपराध विधियों पर महिषी में कार्यशाला आयोजित

 


सहरसा, 04 अगस्त (हि.स.)।

विश्व के प्राचीनतम न्यायालय स्थल भारती मंडण मिश्र धाम, महिषी के प्रांगण में आदित्य ठाकुर पैनल अधिवक्ता के अध्यक्षता में नयी अपराध विधियां पर रविवार को कार्यशाला आयोजित किया गया।

इस कार्यशाला मे भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 4 पर चर्चा हुई। जिसमे दुष्प्रेरण,आपराधिक षडयंत्र और प्रयत्न हैं जो धारा 45 से लेकर 62 तक है। ठाकुर ने बताया किसी बात का दुष्प्रेरण - वह व्यक्ति किसी बात के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, जो उस बात को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है या उस बात को करने के लिए किसी षडयंत्र में एक या अधिक अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ सम्मिलित होता है या जानबूजकर सहायता करता हैं,वह अपराध के श्रेणी में आता हैं।

उन्होंने कहा कि आपराधिक षडयंत्र जब दो या अधिक व्यक्ति कोई अवैध कार्य,या कोई ऐसा कार्य ,जो अवैध नही है, अवैध साधनों द्वारा, करने या करवाने के लिए सामान्य उद्देश्य के साथ सहमत होते हैं,तब ऐसी सहमति आपराधिक षडयंत्र कहलाती है। आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय अपराधों को करने के प्रयत्न करने वाले को जो आजीवन कारावास से आधे तक की या उस अपराध के लिए उपबन्धित दीर्घतम अवधि के आधे तक की हो सकेगी या उस जुर्माने से, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है,या दोनो से, दण्डित किया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / अजय कुमार / गोविंद चौधरी