स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस पर विहिप का 10 दिवसीय आयोजन
सारण, 24 दिसंबर (हि.स.)। विश्व हिंदू परिषद की धर्म प्रसार शाखा द्वारा स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में 21 से 31 दिसंबर तक चलने वाले विशेष कार्यक्रम के तहत शहर में श्रद्धा और उत्साह का माहौल है। इसी कड़ी में खनुआ अस्पताल रोड स्थित महाकालेश्वर मंदिर में सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और विजय महामंत्र 'श्री राम जय राम जय जय राम' के जयघोष के साथ हुई।
इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए धर्म प्रसार के जिला प्रमुख अरुण पुरोहित ने स्वामी श्रद्धानंद के जीवन और उनके संघर्षमय इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डाला।
अरुण पुरोहित ने कहा कि बचपन में मुंशीराम के नाम से जाने जाने वाले स्वामी श्रद्धानंद एक महान शिक्षाविद और आर्य समाज के प्रमुख स्तंभ थे। उन्होंने1902 में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना कर भारतीय वैदिक शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित किया। 1919 में दिल्ली की जामा मस्जिद से विशाल जनसभा को संबोधित कर ब्रिटिश हुकूमत को सीधी चुनौती दी थी। 23 दिसंबर 1926 को धर्म की रक्षा करते हुए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी।
बलिदान दिवस के अवसर पर आर्य समाज कन्या विद्यालय में भी विचार गोष्ठी और विधि-विधान के साथ हवन का आयोजन किया गया। इस दौरान छात्राओं और शिक्षकों ने स्वामी जी के आदर्शों और उनके बताए मार्ग पर चलने का सामूहिक संकल्प लिया।
जिला प्रमुख ने जानकारी दी कि आगामी 27 दिसंबर को छपरा के ऐतिहासिक धर्मनाथ मंदिर में एक विशाल धर्म सभा का आयोजन किया जाएगा। विहिप ने समस्त छपरा वासियों से अपील की है कि इस सभा में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर स्वामी जी को अपनी पुष्पांजलि अर्पित करें।
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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय कुमार