उत्तरकाशी के टनल में फंसे सुनील के घर पहुंचने पर गाजे-बाजे के साथ हुआ स्वागत

 


-वृद्ध माता-पिता की आंखों से टपके खुशी के आंसू

पटना, 01 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल में 17 दिनों तक फंसे रहे बिहार के रोहतास जिले के तिलौथू प्रखंड के चंदनपुरा निवासी सुनील कुमार के गांव पहुंचने पर शुक्रवार को ग्रामीणों और स्वजनों ने दिल खोलकर गाजे-बाजे के साथ स्वागत किया। उसकी पत्नी गुड़िया देवी ने आरती उतारी। उसके दोनों छोटे बच्चे शुभम एवं हिमांशु पिता को देखते ही लिपट गए। उसके वृद्ध माता-पिता की आंखों से खुशी के आंसू बह रहे थे।

सुनील के घर आने की सूचना सुबह से ही गांव व आसपास के इलाके में फैल गई थी। ग्रामीण और स्वजन उसके गांव आने की बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। तिलौथू प्रखंड के बीडीओ संजय कुमार व श्रम अधिकारी उसके आगमन के पूर्व गांव पहुंच गए थे। सुनील के गांव पहुंचने पर उसे देखने को सैकड़ों की भीड़ उमड़ पड़ी। सुनील के साथ उसके परिजनों के चेहरे पर खुशी साफ दिख रही थी। सुनील ने कहा कि यदि बिहार में ही हमें रोजगार मुहैया सरकार कर देती तो हमें बाहर काम करने नहीं जाना पड़ता। उन्हें वहां 18 हजार रुपये महीना मिलता है। उसकी माता सुग्रीव देवी, पिता राजदेव शर्मा व पत्नी गुड़िया देवी ने सरकार से बिहार में ही रोजगार देने की अपील की।

सुशील ने 17 दिन कैसे बिताए। इस दौरान आपस में क्या बातें होती थीं। बाहर निकालने की उम्मीद कब-कब टूटी। इन सब अनुभवों को साझा किया। साथ ही कहा कि घटना के दिन इधर-उधर भटकते रहे। टनल के अंदर सब घूमते रहते थे। सोने का मन करता था तो सो लेते थे। आपस में बातचीत कर मनोबल बनाए रखते थे। उम्मीद थी कि दो-तीन दिनों में सबको बाहर निकाल दिया जाएगा। फिर लगा 4 से 5 दिनों में निकाल लिया जाएगा लेकिन दिन बढ़ते गए तो घबराहट हुई तब धीरे-धीरे सबको एक दूसरे का साथ मिला।

इस दौरान सभी मिलजुल कर रहने लगे। हिम्मत आई, साहस बढ़ा। सभी ने भरोसा जताया कि अरे निकल ही जाएंगे। इधर-उधर मशीन लगी और पाइप लगा तो उनकी उम्मीदें और बढ़ गईं। इसी पाइप के माध्यम से बाहरी दुनिया के साथ संचार किया गया था। इसी पाइप से दाल-रोटी, काजू, किशमिश खाने की सामग्री पहुंचने लगी। उसने कहा कि मनोरंजन के लिए लूडो खेल लेते थे। सुरंग के अंदर ऐसी कठिन स्थिति में भी बिजली व पानी नहीं कटी थी। खाने के लिए पैकेट में में फल भी होता था।

सुनील ने कहा कि दस दिनों बाद परिवार से बात कर सके थे। सुरंग से निकलने पर वहां उत्तराखंड के मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह को मौजूद देखकर खुशी हुई। हमें ऋषिकेश अस्पताल ले जाया गया। हम अब पूरी तरह स्वस्थ हैं। वह हाइड्रा चलाने का कार्य करता है। यदि काम नहीं मिलेगा तो उसे बाहर हो काम तलाशना होगा। अब वह वहां नहीं जाएगा। उसने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से एक लाख का चेक मिला है। इलाज व घर तक भेजने की व्यवस्था सरकार ने किया है।

हिन्दुस्थान समाचार/ गोविन्द/चंद्र प्रकाश