काबर झील पक्षी विहार में आयोजित किया गया प्रशिक्षण
बेगूसराय, 21 दिसम्बर (हि.स.)। काबर पक्षी अभयारण्य स्थित जयमंगलागढ़ में आज बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी द्वारा अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण आयोजित किया गया। कार्यक्रम में तमिलनाडु से आए बीएनएचएस के पक्षी विज्ञानी शिवकुमार स्वामी नाथन ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि भारत में करीब 13 सौ प्रकार के पक्षियों का बसेरा है, जिसमें बिहार में करीब चार सौ प्रकार के पक्षियों का बसेरा है। वास स्थान, चोंचो, रंगों और आकृतियों से चिड़ियों की पहचान होती है। बिहार का यह एक इकलौता रामसर साइट अद्भुत है। जहां सिर्फ देशी ही नहीं, बल्कि विदेशी पक्षियों का भी प्रवास होता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बीएनएचएस के वर्तिका पटेल ने कहा कि आहार जाल और आहार शृंखला के टूटने तथा आहारों की कमी से पक्षियों के जीवन पर असर पड़ा है। घटते आवास, प्रदूषण, अवैध शिकार, जलवायु परिवर्तन से पक्षियों की संख्या दुनिया भर में कम हो रही है। इस मुद्दे पर सभी को गंभीरतापूर्वक पहल करनी होगी।
बीएचएनएस के अभय राय ने कहा कि जैव विविधता को बचाए रखने में, बीजों को प्रकीर्णन सहित पक्षियों का आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी है। बीएनएचएस के खुशबू कुमारी ने कहा कि बर्ड माइग्रेशन एक खोजी विषय है। दुनिया भर में चिड़िया वास स्थान के प्रतिकूल मौसम की वजह से प्रवास करते हैं।
उनके प्रवास के भी राह नियत होते हैं, जिस पर शोधकर्ताओं ने शोध किया है। इसके लिए चिड़ियों को छल्ला पहनाने के काम किए गए हैं। बरटेल बर्ड बिना रूके 13 हजार 560 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। बीएनएचएस के वैज्ञानिक सत्या ने कहा कि भारत में बर्ड प्रवास पर अध्ययन 1927 से शुरू हुआ।
उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों में जहां 30 लाख से अधिक चिड़ियों की रिंगिंग होता है, वहीं भारत में यह आंकड़ा मात्र आठ हजार ही है। मौके पर जिला वन अधिकारी आर.के. रवि, काबर नेचर क्लब मंझौल के संयोजक महेश भारती, संरक्षक अमन कुमार, वन रक्षी मुकेश कुमार, अली हसन, मु. आसिफ एवं दिवाकर सिंह सहित बेगूसराय जिले के सभी वनरक्षक और अन्य उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/गोविन्द