शिक्षा विभाग ने बिना निविदा के कर दी बेंच डेस्क की आपूर्ति

 




गुमराह करने के लिए कुछ प्रमुख अखबारों में निविदा के लिए विज्ञापन आम सूचना के तरह दे दिया गया

किशनगंज,19 दिसंबर(हि.स.)। शिक्षा विभाग के द्वारा बेंच डेस्क आपूर्ति में अनियमितता का मामला प्रकाश में आया शिक्षा विभाग के द्वारा निविदा से पूर्व कुछ विद्यालय में किसी एक भेंडर को लाभ पहुंचाने के लिए बेंच डेस्क आपूर्ति करा दिया जाता है। जब मामला सामने आया तो आनन-फानन में शिक्षा विभाग निविदा की प्रक्रिया शुरू किया गया। यानी कि हाथी के दांत खाने के अलग और दिखाने का अलग होता है ठीक उसी समान लोगो को भर्मित करने के लिए और विभाग को गुमराह करने के लिए कुछ प्रमुख अखबारों में निविदा के लिए विज्ञापन आम सूचना के तरह दे दिया गया।

विज्ञापन में न तो बेंच डेस्क का कोई दर अंकित था और न ही कोई गुनवक्ता का जिक्र है। जब उन अखबारों के द्वारा निविदा का विज्ञापन लगाने से इंकार किया गया तो उसे एनआईसी के माध्यम से प्रसारण कराया गया। इसमें भी सातों प्रखंड का सिर्फ नाम के साथ कुल बेंच डेस्क की संख्या अंकित है, लेकिन किन-किन विद्यालयों में कितना बेंच डेस्क की आवश्यकता है यह अंकित नहीं है। जबकि शिक्षा विभाग के द्वारा 14 दिसंबर को खोले गए निविदा के पूर्व ही कुछ विद्यालयों में बेंच डेस्क आपूर्ति कर दिया गया है। इससे सवाल यह खड़ा हो रहा है कि निविदा से पूर्व कैसे बेंच डेस्क विद्यालयों में आपूर्ति कर दिया गया? बेंच डेस्क आपूर्ति किए गए विद्यालय सरदार गोपाल सिंह मध्य विद्यालय के प्रधानध्यापक से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसी अर्पित नाम के व्यक्ति के द्वारा फोन किया गया था कि आपके विद्यालय का बेंच डेस्क जा रहा है। इसके अलावा मुझे कुछ जानकारी नहीं है। इस पर जब जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष कुमार गुप्ता से निविदा पूर्व विद्यालय में डेस्क आपूर्ति किए जाने को लेकर पत्रकारों द्वारा पूछा गया तो उन्होंने गोल-मोल जवाब देते हुए कहा कि यह पूर्व का बैकलॉग था जिसे आपूर्ति किया गया है। जब पूछा गया कि क्या इसका भी निविदा निकला था तो उन्होंने कहा कि इसका कोई निविदा नहीं निकला था।

पूर्व में जो बेंच डेस्क विद्यालय में लाया गया है वह हेडमास्टर के द्वारा कोटेशन लिया गया था। जिसका कोई निविदा नहीं निकला था। शहर में उक्त बेंच डेस्क की चर्चा का विषय बना हुआ है कि बिना निविदा निकालने से पहले कैसे दे दिया गया जो उच्च स्तरीय जांच का विषय है। जांच का विषय यह भी है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष कुमार गुप्ता किशनगंज में कब से डटे हुए है। पिछले सात वर्षो के दौरान इनकी तबादला हुई भी या नही हुई। हुई तो कहा हुई और फिर से किशनगंज में तबादला हुआ तो किस प्रावधान के तहत हुआ। यह शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखने वाली बात यह है कि विभाग जांच करता है या इसी तरह बेंच डेस्क का मामला उजागर होता रहेगा और कार्रवाई शून्य रहेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/धर्मेन्द्र/चंदा