राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन, डिजिटल व चिकित्सीय विवादों पर चर्चा
पूर्वी चंपारण, 24 दिसंबर (हि.स.)।
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के अवसर पर जिला स्तर पर एक जागरूकता संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें वक्ताओं ने उपभोक्ता हितों की रक्षा और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की व्यवहारिक चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की।
वक्ताओं ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और इसके अंतर्गत आने वाले कानूनों की जानकारी देना ही राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस का मूल उद्देश्य है। बाजार में ग्राहकों के साथ होने वाले अपराध—जमाखोरी, कालाबाज़ारी, मिलावट, बिना मापक वस्तुओं की बिक्री, ठगी, माप-तौल में अनियमितता, गारंटी के बाद सेवा न मिलना जैसे मामलों को देखते हुए सरकार द्वारा जागरूकता अभियान चलाकर कानून को धरातल पर लागू करने की पहल की जाती है।
उपभोक्ता मध्यस्थता केंद्र के सदस्य भाग्यनारायण चौधरी ने कहा कि आयोग में वाद दायर करने के लिए डिजिटल सुविधा उपलब्ध कराई गई है, लेकिन अधिवक्ताओं को समुचित मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण ऑनलाइन वाद दायर करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषद के सदस्य अजहर हुसैन अंसारी ने चिकित्सीय विवादों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मरीजों के पास आवश्यक कागजात और चिकित्सा संबंधी रसीदों के अभाव में कई लोग आयोग से न्याय पाने से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि निजी नर्सिंग होम मोटी राशि लेकर उपचार तो करते हैं, लेकिन मरीजों को उसकी रसीद तक नहीं दी जाती, जिससे विवाद की स्थिति में प्रमाण प्रस्तुत करना मुश्किल हो जाता है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता आयोग के सदस्य संजीव कुमार ने की, जबकि धन्यवाद ज्ञापन कार्यालय सहायक पप्पू प्रसाद द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अधिवक्ता यमुना प्रसाद, रूपनारायण सिंह, तरुण मिश्रा, सुशील कुमार सहित अन्य उपस्थित अधिवक्ताओं ने भी अपने विचार साझा किए और उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा को लेकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार