तीन नए कानूनों पर पटना के ज्ञान भवन में दो दिवसीय सेमिनार

 


पटना, 27 जुलाई (हि.स.)। पटना के ज्ञान भवन में नए आपराधिक कानूनों पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, पुलिस महानिदेशक, बिहार एवं भारतीय पुलिस सेवा के वरीय पदाधिकारियों के साथ कई अन्य गणमान्य लोगों ने शिरकत की। एक जुलाई से लागू तीन नए कानूनों (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023) को लेकर पटना हाई कोर्ट और राज्य सरकार के संयुक्त तत्वावधान में 27-28 जुलाई को दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है।

चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन ने इस दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। उन्होंने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि इन तीन नये कानूनों से आम नागरिकों को काफी सुविधा होगी। उन्होंने फोरेंसिक जांच की महत्ता पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। इस मौके पर जस्टिस आशुतोष कुमार ने कहा कि योग्य अनुसन्धानकर्ता के होने से मामलों के निष्पादन में काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

राज्य सरकार के महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा कि चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की सलाह पर इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि पहले की तरह अब सालों ट्रायल नहीं चलेगा। उन्होंने उम्मीद जताया कि इन नये कानूनों से लोगों को शीघ्र न्याय मिल सकेगा। पुलिस इन नये कानूनों के तहत काम करना शुरू किया है। अरविन्द चौधरी, गृह सचिव ने सभी अथितियों का स्वागत किया। उन्होंने आपराधिक मामलों के प्रक्रिया को बेहतर बनाये जाने पर प्रकाश डाला। राज्य के विभिन्न अदालतों में लगभग सोलह लाख अस्सी हजार मामले सुनवाई के लिए लंबित हैं।

राज्य के डीजीपी आरएस भट्टी ने कहा कि नये कानून में डिजिटल अनुसन्धान पर जोर दिया गया है। नये कानूनों को प्रभावी तरीके से लागू किया जायेगा। विकास आयुक्त सह प्रभारी मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने कहा कि कानून का राज्य कैसे स्थापित हो, इसको प्राथमिकता के आधार पर तय करना होगा। पीड़ितों को प्रभावी न्याय दिलाना इन कानूनों का उद्देश्य है। ये भी देखना जरूरी होगा कि साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं हो।

हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी / चन्द्र प्रकाश सिंह