नई पीढ़ी को नास्तिक बनाने का प्रयास कर रही है बिहार की नीतीश सरकार : राकेश सिन्हा

 




बेगूसराय, 29 नवम्बर (हि.स.)। राज्यसभा सदस्य (सांसद) प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा है कि बिहार की नीतीश सरकार नई पीढ़ी को नास्तिक बनाने का प्रयास कर रही है। नई पीढ़ी को अपने धर्म संस्कृति का रास्ता दिखाने के बदले भौतिकवादी बनाया जा रहा है। शिक्षा विभाग के अपर सचिव के.के. पाठक रासकुटीन की तरह काम कर रहे हैं।

बुधवार को बेगूसराय में आयोजित प्रेसवार्ता में प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा कि रासकुटीन ने रूस के राजा के प्रतिकूल जनता को खड़ा कर दिया था। शिक्षा विभाग से छुट्टी में कटौती और वृद्धि की मांग किसी संप्रदाय ने नहीं की थी। बिहार सरकार स्वंय ऐसा काम कर रही है कि दोनों संप्रदाय के बीच छुट्टी के लिए प्रतिस्पर्धा हो जाए, संघर्ष हो जाए और सरकार उस संप्रदाय एकता की फसल को काट ले।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार राज्य में प्रशासन देने में अक्षम साबित हो रही है। भू-माफिया, बालू माफिया और शराब माफिया की बदौलत चलने वाली सरकार लोगों का ध्यान बार-बार भटकाना चाहती है। छुट्टी में कटौती और वृद्धि भी इसी तरह की घटना है। जब रामनवमी, जन्माष्टमी, रक्षाबंधन, महाशिवरात्रि की छुट्टी का विवाद पैदा किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि तीन दिन विद्यालय बंद होने से शिक्षा व्यवस्था खराब नहीं हो जाएगी। बल्कि बेंच-डेस्क, कंप्यूटर और भवन का अभाव, गलत मध्यान्ह भोजन से बिहार की शिक्षा व्यवस्था बर्बाद हो रही है। दुर्गा पूजा, महाशिवरात्रि और जन्माष्टमी हमारी संस्कृति का त्योहार है। नई पीढ़ी को अपने विरासत से अलग करना नीतीश कुमार की गलत पद्धति है। जिस भी विद्यालय को सरकार का सहयोग मिलता है उसके लिए एक कानून होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वन नेशन वन स्टेट होना चाहिए। नीतीश कुमार को बिहार के ही निवासी संविधान सभा के सदस्य तजामुल हुसैन से सीख लेनी चाहिए। उनके शब्दों को याद करनी चाहिए, तजामुल हुसैन ने कहा था कि अलग-अलग पूजा पद्धति होने से हम अलग नहीं हो सकते हैं, हमारे लिए एक कानून होना चाहिए। उनके शब्दों को याद कर नीतीश कुमार देश को बर्बाद करना बंद करें।

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जोड़ी बिहार को मध्य युग में ले जाना चाहती है। ऐसा ही होने के कारण 1947 में देश का बंटवारा हुआ था। यह तुष्टीकरण की नीति है। जब चुनाव आता है तो इलेक्ट्रोल कम्युनिज्म शुरू हो जाता है, चुनावी सांप्रदायिकता शुरू हो जाती है। इसकी अवधि छह महीने की होती है, चुनाव के छह महीने पहले यह चुनावी कीड़े सांप्रदायिकता के मुद्दे को उठाकर लोगों को उत्तेजित करते हैं, उनका ध्रुवीकरण करते हैं।

वह अपनी जड़ जमाना चाहते हैं, आज वही काम सरकार कर रही है। यह बहुत ही निंदनीय है, पूरे बिहार के स्कूल में एक प्रकार की छुट्टी हो, एक प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए। एक राज्य में दो प्रकार की नीति राज्य को बांटने का कार्य है। जो काम संविधान और समाज को स्वीकार हो वही होना चाहिए। कोई शुक्रवार को, कोई गुरुवार को, कोई मंगलवार को छुट्टी मांगेगा यह गलत है।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री को इस्तीफा दे देनी चाहिए। अन्यथा पंथ निरपेक्षता की जो संस्कृति बिहार में है, वह समाप्त हो जाएगी। बिहार चाणक्य, चंद्रगुप्त, भगवान बुद्ध, महावीर और लोकनायक जयप्रकाश की धरती है। यह कभी सांप्रदायिकता की आग में नहीं झुलसी है। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जोड़ी लोगों का विकास करे, नई पीढ़ी को धर्म सापेक्ष बनाएं, नास्तिक नहीं।

हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा