बिहार में बाल विवाह रोकथाम के लिए बड़े स्तर पर अभियान, सभी 38 जिलों में सर्वाधिक प्रभावित गांवों की होगी पहचान
पटना, 5 दिसंबर (हि.स.)। केंद्र सरकार के 'बाल विवाह मुक्त भारत अभियान' के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर बिहार सरकार ने राज्य के सभी 38 जिलों में बाल विवाह की अत्यधिक दर वाले गांवों की पहचान कर वहां लक्षित जागरूकता अभियान चलाने की घोषणा की है। केंद्र सरकार ने इस अवसर पर बाल विवाह उन्मूलन के लिए 100 दिवसीय राष्ट्रीय कार्य योजना भी शुरू की, जिसका समापन 8 मार्च 2026 (अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस) को होगा।
बिहार के सभी 38 जिलों में बाल विवाह की बेहद ऊंची दर वाले गांवों की पहचान कर वहां लक्षित जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।भारत सरकार के अभियान को पूर्ण समर्थन देते हुए और अगले साल का रोडमैप साझा करते हुए 'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन' के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा कि 'बाल विवाह मुक्त भारत' के लक्ष्य को हासिल करने में सामुदायिक समूहों, धार्मिक नेताओं, पंचायतों व नागरिकों की सबसे मुख्य भूमिका है। सरकार का 'बाल विवाह मुक्त भारत अभियान' पूरी दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है। यह बच्चों के खिलाफ इस अपराध के खात्मे के हमारे सामूहिक प्रयासों व सामूहिक प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। पिछले साल एक लाख से भी अधिक बाल विवाह रोके और रुकवाए गए, जो यह दिखाता है कि जब समाज एकजुट होता है, तो बदलाव अपरिहार्य है।
भुवन ऋभु ने कहा कि उन्होंने वादा किया है कि अगले एक साल में एक लाख गांवों को बाल विवाह मुक्त गांव बनाएंगे, ताकि हर बच्चे को जीवन में आगे बढ़ने का अवसर व एक सुरक्षित भविष्य मिले। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे- 5 के अनुसार बिहार में बाल विवाह की दर 40.8 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत से बहुत ज्यादा है। देश में बाल विवाह की सबसे अधिक दर वाले 60 जिलों में 40 प्रतिशत से ज्यादा यानी 22 जिले अकेले बिहार के हैं। खास तौर से लखीसराय, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, जमुई, पूर्णिया और सहरसा जिलों में बाल विवाह की दर 50 प्रतिशत से भी अधिक है, जिसका मतलब है कि हर दूसरी लड़की का विवाह उसके बालिग यानी 18 वर्ष की होने से पहले ही हो जाता है।
भुवन ऋभु ने कहा कि विकसित भारत के व्यापक लक्ष्य की प्राप्ति में इन प्रयासों की गति काफी अहमियत रखती है। प्रिवेंशन, प्रोटेक्शन, प्रासिक्यूशन के '3पी' माडल यानी सुरक्षा से पहले रोकथाम, अभियोजन से पहले सुरक्षा और रोकथाम के लिए निवारक उपाय के तौर पर अभियोजन पर अमल करते हुए 'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन' ने 1 अप्रैल 2023 से 14 नवंबर 2025 तक देश में 4,35,205 बाल विवाह रोके हैं। स्कूलों, धार्मिक नेताओं, विवाह में सेवाएं प्रदान करने वालों व जनसमुदाय में बाल विवाह से जुड़े कानूनों के बारे में बड़े पैमाने पर जागरूकता के प्रसार से बाल विवाह के बारे में आम लोगों की सोच और व्यवहार में बदलाव आया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के सपने को आगे बढ़ाने वाले 'बाल विवाह मुक्त भारत अभियान' की शानदार सफलता के साल भर पूरे होने पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बाल विवाह के खात्मे के लिए ‘100 दिवसीय सघन जागरूकता अभियान’ शुरू किया। इस 100 दिवसीय कार्य योजना का समापन 8 मार्च 2026 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर होगा।
बिहार में राज्य, जिला और गांव स्तर पर इस अभियान को तीन चरणों में बांटा गया है। इसके पहले चरण में स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों में जागरूकता के प्रसार पर जोर रहेगा। वहीं, दूसरे चरण में मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारों जैसे धार्मिक स्थलों पर जहां विवाह संपन्न कराए जाते हैं व विवाह में सेवाएं देने वाले बैंक्वेट हाल, बैंड बाजा वाले, कैटरर, डेकोरेटर इत्यादि पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। तीसरे और आखिरी चरण में बाल विवाह की रोकथाम के लिए ग्राम पंचायतों, नगरपालिका के वार्डों और समुदाय स्तरीय भागीदारी और जिम्मेदारी को मजबूत किया जाएगा।
अधिसूचना के बाद राज्य सरकार ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और उच्च शिक्षा विभाग को इस अभियान में सक्रिय भागीदारी करने के निर्देश दिए हैं, जिससे कि लक्षित उद्देश्यों को हासिल किया जा सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी