चुनाव हारकर जुगाड़ के सहारे कुर्सी से चिपके हुए हैं नीतीश कुमार : प्रशांत किशोर
बेगूसराय, 17 जनवरी (हि.स.)। 2014 में ''बिहार में बहार बा, नीतीशे कुमार बा…'' का स्लोगन देने वाले प्रशांत किशोर अब नीतीश कुमार के खिलाफ मुखर हैं। बेगूसराय में चल रहे पदयात्रा के दौरान आज जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि मैंने नीतीश कुमार के लिए प्रचार किया, जीताने में कंधा लगाया।
उन्होंने कहा कि प्रशासक के तौर पर, नेता के तौर पर और मानवता के आधार पर 2014 और 2023 के नीतीश कुमार में जमीन आसमान का फर्क है। 2014-15 में जिस नीतीश कुमार की हमने मदद की थी, उन्हीं नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2005 से लेकर 2012-13 में बिहार में विकास होते हुए दिखा था। यह बात बताता था कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सुधर रहा है और नीतीश जी ने अपना पद छोड़कर जीतनराम मांझी जी को मुख्यमंत्री बना दिया था।
2014 में हमसे मदद मांगने के लिए नीतीश कुमार दिल्ली आए। तब मैंने उनसे कहा कि आप बिहार ठीक चला रहे थे, बिहार में सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई थी तो आपने मांझी जी को मुख्यमंत्री बनाकर अलग क्यों हट गए।तब नीतीश कुमार ने बताया कि हम चुनाव हार गए, उस वक्त मैंने उनसे वादा किया कि आप फिर मुख्यमंत्री बनिए, बिहार को जैसे बेहतर बना रहे थे बनाइए और चुनाव के नजरिए से जो मदद होगी वो हम करेंगे। इसलिए उनकी मदद की और चुनाव जिताया भी। सात निश्चय की परिकल्पना की, बिहार विकास मिशन भी बनाया।
प्रशांत किशोर ने कहा कि सरकार में हम शामिल नहीं थे, लेकिन स्ट्रेटेजी-सुझाव के तौर पर जो कुछ भी किया जा सकता था वह किया। 2005 से लेकर 2012 तक जो बिहार सुधरता हुआ दिखा, वही बिहार 2015 से 2023 के दौर में बिगड़ता हुआ दिख गया है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि नेता के तौर पर जिस नीतीश कुमार की हमने मदद की थी, वह चुनाव नहीं हारे थे। लोकसभा में उनकी पार्टी को झटका लगा था, दो एमपी जीते थे, लेकिन विधानसभा में उनके 117 विधायक जीते थे। उनको जनता का बहुमत दिया हुआ था। आज नीतीश कुमार चुनाव हार गए हैं। 243 विधानसभा की सीटों में उनके पास 42 विधायक हैं।
उस समय नीतीश कुमार चुनाव नहीं हारे थे, लेकिन राजनीतिक मर्यादा के नाते पद छोड़ दिया था, मांझी जी को सीएम बनाया था। आज वह चुनाव हार गए हैं, लेकिन कोई ना कोई जुगाड़ लगाकर कभी लालटेन पकड़कर तो कभी कमल पकड़कर कुर्सी से चिपके हुए हैं। हम उस नीतीश कुमार का विरोध कर रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा