गायत्री शक्तिपीठ में व्यक्तित्व परिष्कार सत्र का आयोजन
सहरसा,19 मई (हि.स.)। गायत्री शक्तिपीठ में रविवार को व्यक्तित्व परिष्कार सत्र को संबोधित कर डाॅक्टर अरुण कुमार जायसवाल ने कहा कि इस संसार में एक होती है प्रकृति और एक होती है नियति, एक होती है गति और एक होता है गंतव्य । प्रकृति यानी हमारा स्वभाव हमारा नेचर। हमें बचपन बहुत सुहाना लगता है। हमें माता-पिता, गुरुजनों का प्यार बहुत अच्छा लगता है हमें रिश्ते बहुत अच्छे लगते हैं। किंतु यह ठहरते नहीं है। कोई भी मां अपने बच्चों को कितना भी प्यार कर ले,किंतु कोख में ठहरा नहीं सकती।
डाॅक्टर जायसवाल ने कहा जब यह सब हमारे जीवन में ठहर नहीं सकते तो समाधान क्या है। समाधान है हमारी यादें, हमारी बातें और हमारे बीच की भावनाएं बरकरार रहनी चाहिए। अतीत तो ठहरा हुआ है लेकिन वर्तमान को ठहरा नहीं सकते लेकिन वर्तमान को खूबसूरत बनाकर उसे यादगार बना सकते हैं। हमारा बचपन कहीं भाग नहीं गया है, जो था, वह है लेकिन हम वर्तमान को ठहरा नहीं पाएंगे वर्तमान जब अतीत बनेगा तो उसमें खूबसूरत पल डाल सकते हैं। हमारे मन में यह सदैव रहना चाहिए कि कोई भी चीज हमेशा रहने या ठहरने वाला नहीं है इसलिए हम जहां हैं वहां हमेशा हमें अच्छा करना चाहिए और हड़पने या हथियाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। ऐसे में यदि कुछ छूटता है तो संतुष्टि भाव से छूटता है।
उन्होंने कहा जीवन में बहुत कुछ सीखने की जरूरत नहीं है केवल प्रेम और ईमानदारी सीख जाए, सब हो जाएगा। प्रेम और ईमानदारी के अलावा दुनिया में कुछ भी सीखने की जरूरत नहीं है। यह मातृ दिवस या परिवार दिवस इन्हीं सब चीजों को जीवन में उतारने के लिए मनाया जाता है। इसी क्रम में उन्होंने आगे कहा आज परिवार व्यवस्था के समाप्त होने के लक्षण हैं। लिव इन रिलेशनशिप कमिटमेंट से बचने का तरीका ।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा