पश्चिम चंपारण में 5,112 टीबी मरीज

 


बेतिया, 30 अक्टूबर (हि.स.)। टीबी एक गंभीर संचारी रोग है। यह मरीजों के सम्पर्क में रहने से फैलता है। यह मरीजों के बलगम, थूक, खांसी, छिंक आदि के द्वारा फैलता है। इस बीमारी के कारण मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आने लगती है। मरीज में टीबी होने पर 2 हफ्ते से ज्यादा समय से बलगम वाली खांसी, बुखार, लगातार वजन घटना, रात में पसीने आने के लक्षण देखें जाते है। ऐसे लक्षण दिखने पर सरकारी अस्पताल में मरीजों के बलगम की सीबीनेट से निःशुल्क जांच की जाती है।

इस जांच से टीबी या एमडीआर टीबी का पता चलता है। जिससे मरीजों के इलाज में सहूलियत होती है। ये बातें जिले के सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे ने बताई। उन्होंने बताया कि जिले के स्वास्थ्य केंद्रों पर 5,112 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है। उन्होने कहा कि टीबी शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है। जैसे छाती, फेफड़ों, गर्दन, पेट आदि। टीबी का सही समय पर जांच होना बहुत ही आवश्यक होता है। तभी हम इस गंभीर बीमारी से बच सकते हैं।

सीएस डॉ दुबे ने बताया कि टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत बेतिया, नरकटियागंज, बगहा, मझौलिया व अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ गांव- कस्बों में भी टीबी रोगियों की खोज की जा रही है। साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा टीबी के समय पर पहचान हेतु लक्षण व इससे बचाव के उपाय भी बताए जा रहें है।

जिले के यक्ष्मा केन्द्र सहित सभी अनुमंडलीय व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर मरीजों की जाँच व इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री निक्षय मित्र योजना के अंतर्गत जिले में अभी 32 निक्षय मित्र द्वारा 32 टीबी मरीजों को गोद लेकर पोषण सम्बंधित सहायता दिया जा रहा है। वहीं मरीजों के बीच 74 पोषण पोटली का वितरण किया गया है।

केएचपीटी की जिला प्रतिनिधि मेनका सिंह व जिला यक्ष्मा केंद्र में कार्यरत सूर्य नारायण साह ने कहा कि इलाज के दौरान पोषण के लिए टीबी मरीज को 500 रुपये प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जा रही है। यह 500 रुपये पोषणयुक्त भोजन के लिए दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि टीबी मरीज को पूरी दवा का कोर्स करना जरूरी होता है अन्यथा टीबी के पुनः लौटने व एमडीआर होने का खतरा बना रहता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ अमानुल हक़

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