प्राकृतिक पदार्थों से बने रंगों से फ्रेंडली होली खेलने का मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट ने किया लोगों से आह्वान

 




बेतिया, 24 मार्च (हि.स)। मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सत्याग्रह भवन में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों एवं बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। इस अवसर पर सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डाॅ. एजाज अहमद अधिवक्ता ने अह्वान करते हुए कहा कि प्राकृतिक फूलों, फलों, पत्तियों एवं पेड़ पौधों से बने रंगों से फ्रेंडली होली सामाजिक सद्भावना के साथ मिलजुल कर खेलें। होली प्रकृति का मंगल उत्सव एवं वसंत ऋतु की विदाई का पर्व है।

रंगों का त्यौहार होली भारतीय परंपरा में आनंद एवं सामाजिक सद्भावना का उत्सव कहा जाए तो गलत नहीं होगा यह पर्व वातावरण में ऊर्जा एवं हर्ष उल्लास भर देता है। खेतों में सरसों के पीले फूलों से प्रकृति भी सुंदर एवं मनमोहक दिखाई देती है। सौंदर्य एवं मनमोहकता का यह संगम पूरे जगत को मोहित करने लगता है। इसे हम ऋतुराग भी कहते हैं, क्योंकि नृत्य एवं गान के बिना होली पूरी होती ही नहीं।

धर्मशास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि प्राचीन काल में होलिका की हवन सामग्री में भी इन औषधीय फूलों की अधिकता रखी जाती थी, ताकि वायु में उपस्थित रोग के कीटाणु नष्ट हो जाएं। अब यदि होली के रास-रंग की बात करें, तो कृष्ण की ब्रज की होली की तो बात ही निराली है। अवध में रघुवीर एवं काशी में शिव की मसान होली भी कम लोकप्रिय नहीं है।

हिन्दुस्थान समाचार / अमानुल हक़ /चंदा