'नीतीश पेंडेंट' की मदद से दूर होगी प्राकृतिक आपदाओं की समस्या

 


पटना, 02 फरवरी (हि.स.)। राज्य में वज्रपात एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं से पड़ने वाले दुष्प्रभावों में मददगार साबित होगा आपदा प्रबंधन विभाग का नीतीश’ पेंडेंट। जिसे आईआईटी पटना की मदद से बनाया गया है।

सीएम ने बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, डॉ उदय कांत को प्रदेश में आने वाली आपदाओं से निपटने के उपाय ढूंढने का निर्देश दिया था। इस को मूर्त रूप देने की समस्या सामने आई। इसके लिए बहुत सोच-समझकर प्राधिकरण ने आईआईटी, पटना से हाथ मिलाया। प्रारंभिक कई कठिनाइयों के उपरांत आईआईटी, पटना के निदेशक, डॉ त्रिलोक नाथ सिंह के दिशा-निदेश में आईआईटी, पटना के कम्प्यूटर साइंस विभागाध्यक्ष प्रो राजीव मिश्रा, डॉ अरजीत रॉय एवं आकाश ने गहन अन्वेषण के उपरांत एक नीत, तीव्र, एवं शक्तिशाली, सुरक्षा कवच पेंडेंट का निर्माण कर लिया। जिसका नाम अनायास ही ‘नीतीश’ पेंडेंट हो गया है।

सामान्य कलाई घड़ी के जैसा ही 47 मिमी x 48 मिमी x 16 मिमी एवं मात्र 43 ग्राम वाले इस पेंडेंट, लॉकेट या ताबीज की शक्ल वाले इस इलेक्ट्रानिक डिवाइस का अंग्रेजी नाम भी है Novel & Innovative Technological Intervention for Safety of Human lives (‘NITISH’ )। इसे आसानी से गले में लटकाया या बांह पर बांधा जा सकता है।

प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ उदय कान्त बताते हैं कि नीतीश पेंडेंट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह शरीर की ऊर्जा और गर्माहट से ही रिचार्ज होता रहता है। क्षेत्र विशेष में वज्रपात या किसी अन्य आपदा की पूर्व चेतावनी जैसे ही आएगी, नीतीश पेंडेंट अपने स्वामी को तीन प्रकार से सतर्क कर देगा। इससे वॉयस मैसेज सुनाई पड़ेगी। यह वाईब्रेट भी करेगा तथा इसका रंग हरे से लाल में तब्दील हो जाएगा। जब तक इसे पहनने वाला इसका स्वीच ऑफ न कर दे तब तक नीतीश पेंडेंट चेतावनी देता ही रहेगा। स्वीच ऑफ करते ही प्राधिकरण के कम्प्यूटर में यह सूचना स्वत: ही आ जाएगी कि व्यक्ति विशेष तक चेतावनी पहुँच चुकी है। नीतीश पेंडेंट वाटरप्रुफ भी है जिसे समाज के प्रत्येक तबके को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

नीतीश पेंडेंट इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस 100 फीसद सुरक्षित है। आईआईटी पटना, अपने ही प्रयोगशाला में ऐसे 1 लाख पीस बनाएगा। आईआईटी, पटना के प्रोफेसर डा. राजीव मिश्रा ने बताया है कि शीघ्र ही नीतीश पेंडेंट का पेटेंट प्राधिकरण एवं आईआईटी पटना के संयुक्त नाम से कराया जाएगा। डॉ राजीव ने यह भी कहा है कि अभी नीतीश पेंडेंट में लगाये जाने पुर्जों में एक को आयातित करना पड़ रहा है इस कारण नीतीश पेंडेंट की लागत करीब 1000 रुपये से थोड़ी कम आ रही है। प्रयास यह है कि आयातित पुर्जे को आईआईटी, पटना में ही डिजाइन कर लिया जाए। ऐसा होने से नीतीश पेडेंट की कीमत में तकरीबन 20 प्रतिशत कमी आने की संभावना है।

प्राधिकरण में कार्यरत रवीन्द्र भारती तथा मुख्यमंत्री कार्यालय में सेवारत कई कर्मियों ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस प्रयोग की सफलता के लिए सतत चिंतित रहते हुए भी, प्राधिकरण का लगातार उत्साहवर्धन करते रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/गोविन्द/चंदा