मैथिली विश्व की सबसे वैज्ञानिक व प्राचीन भाषा है : डॉ ललित नारायण मिश्र
सहरसा,28 मई (हि.स.)। मैथिली भाषा के ऐतिहासिक एवं दार्शनिक व्याख्या तथा मैथिली शब्द की उत्पत्ति का इतिहास संबंधित तथ्य की जानकारी आधारित पुस्तक का विमोचन किया गया। आर एम कॉलेज के सभागार में मंगलवार को डॉ राम चैतन्य धीरज लिखित मिथिला शब्द दर्शन पुस्तक विमोचन लोकार्पण सह परिचर्चा संगोष्ठी आयोजित की गई।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि साहित्यकार एवं समालोचक लेखक रमेश, प्रोफेसर डॉक्टर रंजीत कुमार सिंह, आईक्यूएसी समन्वयक डॉ ललित कुमार मिश्रा, विशिष्ट अतिथि बीएनएमयू कुलानुशासक डॉ विश्वनाथ सुरेका, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कमल मोहन चुन्नू, डॉ अरुण कुमार सिंह, सीएम कॉलेज दरभंगा के डॉ सुरेंद्र भारद्वाज,डॉ धर्मव्रत चौधरी,डॉ श्रीमंत जैनेंद्र, डॉ कुमार सौरभ द्वारा दीप प्रज्वलितकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। डॉक्टर अक्षय कुमार चौधरी एवं साहित्यकार मुख्तार आलम के संचालन में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ ललित नारायण मिश्र के द्वारा किया गया।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि डॉ राम चैतन्य धीरज द्वारा लिखित मिथिला शब्द दर्शन ऐतिहासिक एवं दार्शनिक व्याख्या है। मैथिली शब्द की उत्पत्ति एवं इतिहास दो खंड में विभक्त है। इसमें ध्वनि मीमांसा एवं शब्द मीमांसा व्यापक वर्णन किया गया है। मैथिली ध्वनि व उच्चारण से विशिष्ट बनाता है।यह पुस्तक मिथिला एवं मैथिली के लिए विशिष्ट पहल है। उन्होंने कहा की भाषा संस्कृति का मूल तत्व समाहित है। ज्ञान की संपूर्ण अवधारणा अनीति व ध्वनि पर आधारित है।
डॉक्टर राम चैतन्य धीरज द्वारा प्रकाशित पुस्तक मिथिला शब्द दर्शन अति महत्वपूर्ण है।ज्ञात हो कि डॉ धीरज द्वारा मैथिली हिन्दी एवं संस्कृत में अब तक 14 पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है वही कई अन्य पुस्तक प्रकाशनाधीन है।वही भाषा वैज्ञानिक के रूप मे भी कई पुस्तक के प्रकाशन से मैथिली भाषा काफी समृद्ध हुई है।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा