कुपोषित व्यक्तियों में टीबी होने की संभावना अधिक,केयर एवं सपोर्ट ग्रुप की बैठक सम्पन्न

 




बेतिया, 23 नवंबर(हि.स)। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, इसका संक्रमण व्यक्ति के लिए जानलेवा भी हो सकता है पर दिमाग़ को मज़बूत रखकर यानी दृढ़ इच्छाशक्ति से इस टीबी हरा सकते हैं।यह बातें अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरिसवा चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुमित कुमार ने केयर एवं सपोर्ट ग्रुप की मासिक बैठक में कहीं।डॉ सुमित ने कहा कि टीबी लाइलाज नहीं है, लेकिन इलाज न करवाने की सूरत में यह जानलेवा हो सकता है. इसका इलाज अमूमन छह महीने तक सही दवाओं के सेवन से किया जा सकता है।शरीर के किसी भी हिस्से में नाखून और बाल को छोड़कर टीबी हो सकता है।

चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुमित कुमार ने कहा कि अगर छोटे बच्चे की मां को टीबी हो जाए तो उस स्थिति में कई बार परिवार के लोग बच्चे को मां से दूर कर देते हैं, बच्चे को मां का दूध नहीं पीने देते हैं जबकि वास्तविकता यह है कि स्तनपान से टीबी नहीं फैलती है. ड्रग सेंसिटिव टीबी का इलाज 6 से 9 महीने और ड्रग रेजिस्टेंट का 2 साल या अधिक तक चल सकता है. टीबी के इलाज में प्रोटीन रिच डाइट खाना महत्वपूर्ण है, स्थानीय सब्जी, फल और दाल लेना आवश्यक है।

फार्मासिस्ट मो. जिकरूलाह ने बताया कि उन व्यस्कों में टीबी जल्दी फैलता है जो कुपोषण के शिकार होते हैं, क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इसलिए उपचार के दौरान खानपान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके भोजन में पत्तेदार सब्जियां, विटामिन डी और आयरन के सप्लीमेंट्स, साबुत अनाज और असंतृप्ति वसा होना चाहिए. भोजन टीबी के उपचार में महत्वबपूर्ण भूमिका निभाता है, अनुपयुक्त भोजन से उपचार असफल हो सकता है और दुबारा संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है इसलिए अपनी सेहत का ख्याल रखें और नियमित रूप से अपनी शारीरिक जांच कराते रहे।

केएचपीटी के सामुदायिक समन्यवक डॉ घनश्याम ने बताया कि टीबी का इलाज शुरू होने के बाद उसे बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. कई बार लोग टीबी की जांच कराने में संकोच करते हैं, अगर वजन कम हो रहा है और खांसी नहीं रुक रही है. तो समय रहते टीबी की जांच कराएं और बीमारी होने पर तुरंत दवाई लेना शुरू करना चाहिए।

बैठक में टीबी चैंपियन मोहम्मद रहमान ने अपने अनुभवों को साझा किया।मौके पर फार्मासिस्ट मोहम्मद जिकरुल्लाह,एएनएम सुनीला कुमार,सुरक्षा प्रहरी लालबाबू चौबे आदि सहित दर्जनों टीबी मरीज एवं उनके देखभाल करने वाले उपस्थित रहें।

हिन्दुस्थान समाचार / अमानुल हक़ /चंदा