शिव को गुरु मानकर शिष्य भाव की स्थिति में खड़ा रहना बहुत महत्वपूर्ण है : भाई परमेश्वर

 




सहरसा,18 मई (हि.स.)।भगवान शिव की शिष्यता,शिष्य भाव एवं शिवचर्चा पर मुख्यालय रांची उपवन से जारी निर्देश के आलोक में शनिवार को महिषी अंचल क्षेत्र के गोरहो घाट स्थित जवाहर गुरु भाई के यहां एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया,जिसमें उपस्थित शिव शिष्य भाई परमेश्वर ने कहा कि भगवान शिव तो गुरु है ही महत्व है कि शिव का शिष्य होकर शिष्य भाव की स्थिति में खड़ा रहना।

उन्होंने कहा कि भगवान शिव गुरु के रुप में सतयुग,त्रेता,द्वापर और वर्तमान कलयुग में भी गुरु कार्य करते अपने शिष्यों के जीवन में शिव भाव पैदा करते हैं।उन्होंने कहा कि साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी के द्वारा दिए गये प्रथम सुत्र कि हे शिव आप मेरे गुरु है। इस मेरे शब्द की गहराई में प्रवेश कर आप भी अपने जीवन में भगवान शिव की शिष्यता से प्राप्त अनुभुति को अनुभव कर सकते हैं। साथ ही साहब श्री के द्वारा प्रदत्त पहला और तीसरा सुत्र अगर हम और आप करते हैं तो दूसरे को शिव शिष्य बनाने में आपको शिव मदद करने लगता है।

उन्होंने कहा कि साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी ने रांची स्थित उपवन से भगवान शिव की शिष्यता का अपने साधना के बल पर विस्तार किया और आज वही से जारी निर्देश का अनुपालन करते हम गुरु भाई एवं बहना अगले 30 जुन तक खुले आसमान के नीचे अपने गुरु से सन्दर्भित एकदिवसीय परिचर्चा का आयोजन नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा कि तेज धूप,उमस एवं प्रचंड गर्मी को देखते हुए सरकार ने भी इससे बचने की सलाह दिया है। इसका पालन करते हम सब किसी निजी स्थान,बंद दरवाजे,एवं किसी सार्वजनिक हांल में साप्ताहिक अथवा एकदिवसीय शिव परिचर्चा कर सकते हैं।मौके पर जवाहर पंडित, सुरेश, माधव मुखिया,अशोक राम,अशोक झा,शशी यादव,डोमी राम, गजेन्द्र यादव आदि ने सम्बोधित किया।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा