हृदयरोग से पीड़ित तीन बच्चों को सर्जरी के लिए भेजा गया आईजीआईसी पटना
किशनगंज,05फ़रवरी(हि.स.)। सरकार की कुछ योजनाएं ऐसी है, जो हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के लिए कल्याणकारी और जीवनदायिनी के रूप में कार्य कर रही है। इसमें सबसे ऊपर बाल हृदय योजना है। दरअसल यह मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना पार्ट 2 के तहत संचालित है। इस योजना का लाभ राज्य के उन बच्चों को मिलता है जिनके दिल में छेद होता है। जिसका मुफ्त इलाज बिहार सरकार की मदद से प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाउंडेशन द्वारा किया जाता है। राज्य सरकार बच्चों और उनके अभिभावकों का आने-जाने का खर्च वहन करती है।
जिले में लोगों को बेहतर और समुचित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने को लेकर स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन पूरी तरह सजग व गंभीर है। जिसे सार्थक रूप देने के लिए आरबीएसके टीम की पहल पर जिले के हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का पूरी तरह निःशुल्क इलाज कराया जा रहा है। जिसका सार्थक परिणाम यह है कि समुचित इलाज और स्वस्थ्य होने की उम्मीद छोड़ चुके पीड़ित बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हो रहे और बच्चों को नई स्वस्थ जिंदगी जीने का अवसर मिल रहा है।
ऐसे पीड़ित बच्चों का जिले की आरबीएसके टीम द्वारा स्क्रीनिंग कर चिह्नित किया जा रहा और आवश्यकता के अनुसार समुचित इलाज के लिए पटना या अहमदाबाद भेजा जा रहा है। जहां बच्चों का सरकारी स्तर से निःशुल्क समुचित इलाज हो रहा है। इसी कड़ी में आरबीएसके टीम द्वारा जिले के विभिन्न प्रखंडों में हृदयरोग से पीड़ित कुल 3 ऐसे बच्चे की पहचान की गई है। सभी बच्चे को मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत सरकारी खर्च से स्क्रीनिंग (समुचित जांंच) के लिए आईजीआईसी (पीएमसीएच) पटना भेजा गया है। जहां स्क्रीनिंग के बाद आवश्यकतानुसार आगे की स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी एवं सभी बच्चों की पूरी तरह निःशुल्क समुचित जांच और इलाज होगा।
सिविल सर्जन डा. मंजर आलम ने बताया कि जिले के कुल 03 बच्चों जिन्हें 30 जनवरी को पटना जांच के लिए भेजा गया था अब पुनः उन्हें सर्जरी के लिए बिहार के इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान पटना एवं एम्स पटना द्वारा जांच के उपरांत हृदय रोगी बच्चों को सफल व मुफ्त इलाज हेतु अहमदाबाद भेजा जायेगा। जिसमें जिले के पोठिया प्रखंड निवासी जाकिया सुल्ताना, मंसूर रहमान, और निशा प्रवीन शामिल हैं। सभी पीड़ित बच्चे को एंबुलेंस के जरिए राज्य स्वास्थ्य समिति पटना भेजा गया है। वहीं इलाज के उपरांत इनके गंतव्य स्थल तक पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाएगी। साथ ही इनकी देखरेख के लिए चिकित्सकों की टीम भी उपलब्ध कराई गई है। खास बात यह है कि बाल हृदय योजना के जरिए चयनित इन सभी बच्चों के इलाज में अभिभावक का एक रुपए भी खर्च नहीं होना है।
सिविल सर्जन डा. मंजर आलम ने बताया कि सभी बच्चे के साथ परिवार जनों को आने-जाने समेत सभी सुविधाएं यानी समुचित इलाज की सुविधाएं पूरी तरह मुफ्त मिलेगी। सभी बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों का भी खर्च सरकार द्वारा ही वहन किया जाता है। वहीं, उन्होंने बताया, जन्म से ही हृदय रोग से पीड़ित बच्चे को सांस लेने में परेशानी होती है। हमेशा सर्दी-खांसी रहती है। चेहरे, हाथ, होंठ नीला पड़ने लगता है। जिसके कारण गंभीर होने पर बच्चों के दिल में छेद हो जाता है। ऐसे बच्चों का आरबीएसके (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) द्वारा इलाज कराया जाता है।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक डा. मुनाजिम ने कहा कि हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों को नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में आरबीएसके टीम से संपर्क कर निःशुल्क समुचित स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिला सकते हैं। जानकारी उपलब्ध कराने के पश्चात आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं, उन्होंने बताया, इस समस्या से पीड़ित बच्चों के स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज शुरू कराना जरूरी है। अन्यथा, परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जिन बच्चों के होठ कटे हैं, उसका 03 सप्ताह से 03 माह के अंदर, जिसके तालु में छेद (सुराग) है, उसका 06 से 18 माह एवं जिसका पैर टेढ़े-मेढ़े है, उसका 02 सप्ताह से 02 माह के अंदर शत-प्रतिशत सफल इलाज संभव है। इसलिए, जो उक्त बीमारी से पीड़ित बच्चे हैं, उसके अभिभावक अपने बच्चों का आरबीएसके टीम के सहयोग से समय पर मुफ्त इलाज शुरू करा सकते।
हिन्दुस्थान समाचार/धर्मेन्द्र/चंदा