गुलाबी ठंड में शिशुओं की सेहत का रखें ध्यान, नियमित स्तनपान जरुरी : सिविल सर्जन
किशनगंज,25 अक्टूबर (हि.स.)। जिले में गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है। ऐसे मौसम में दोपहर में तेज गर्मी या अहले सुबह ठंड का एहसास होता है। इस बदलते मौसम में शिशुओं व छोटे बच्चों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है।
बच्चों की रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित होने के कारण भी वे अधिक तेजी से बीमार भी पड़ते और अक्सर सर्दी जुकाम तथा बुखार से पीड़ित हो जाते हैं। बीमारी से बचाव के लिए उनके खानपान और सफाई का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।
बुधवार को सिविल सर्जन डॉ. कौशल किशोर ने बताया कि मौसम के सर्द गर्म होने का असर शिशुओं पर तेजी से पड़ता है। इम्युनिटी का स्तर कम होने की वजह से उन्हें संक्रमण का अधिक खतरा होता है। ठंड के कारण रात में सोते समय शिशु के गले से घरघराने की आवाज, गंभीर रूप से खांसने, सांस लेने में परेशानी देखी जाती है। यदि ऐसा होता है तो तुरंत चिकित्सीय परामर्श लेने की जरूरत है। ठंड की शुरुआत के साथ ही बच्चों को तेल की मालिश बहुत ही फायदेमंद होती है।
डॉ कौशल ने कहा कि गुनगुने सरसो या जैतून के तेल की रोजाना मालिश की जानी चाहिए। रात को ध्यान रखें व शिशुओं के बिस्तर की जांच करते रहें। कई बार शिशु बहुत अधिक पेशाब करते और डायपर गीला होने के कारण भी ठंड लगने की शिकायत होती है। इसलिए नियमित रूप से डायपर बदलते रहें।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि परिजन बच्चों व शिशुओं की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हुए उन्हें गुनगुने पानी से दो से तीन दिनों के अंतराल पर बंद जगह पर ही नहलायें। नहलाने के बाद थोड़ी देर धूप में बिठायें। शरीर को अच्छी तरह पोछ कर 10 से 15 मिनट तक मालिश करें। इससे शरीर की मांसपेशियां और जोड़ मजबूत होते हैं। शरीर का तापमान बना रहता है। नहाने के बाद बच्चों को खुला बदन नहीं रहने दें। उसके भोजन में मौसमी सब्जियां, दाल, अंडा, मांस आदि शामिल करें। बच्चों के भोजन में विटामिन सी वाले फल शामिल करें। साथ ही बच्चों के नियमित सभी टीकाकरण अवश्य करायें। बच्चों को देर शाम या अहले सुबह बाहर ले जाने से बचें। यदि कफ या नाक बंद होने की समस्या हो रही हो तो चिकित्सीय परामर्श के साथ दवाई दी जानी चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार/धर्मेन्द्र/गोविन्द