पूर्वी चंपारण:जाति और धर्म की शोर में किसानो के मुद्दे गौण
पूर्वी चंपारण,23 मई(हि.स.)। कृषि अर्थव्यवस्था वाले पूर्वी चंपारण संसदीय क्षेत्र में अगामी 25 मई को चुनाव होना है। जिसको लेकर प्रत्याशियो के साथ दलीय नेताओ के सभाओ का दौर जारी है।हालांकि इस सियासी कसरत में उतरे नेताओ के चुनावी सभाओ में जाति और धर्म पूरी तरह हावी नजर आ रहा है।जिसमे जिले के रीढ किसानो की मूल समस्या गौण नजर आ रही है।
पीएम,सीएम से लेकर विपक्ष के नेताओ के किसी भी सभा में इस जिले के किसान मूल समस्या बाढ,सूखा व बंद चीनी मिलो के बारे चर्चा तक नही किया जा सका है। भौगौलिक रूप से नेपाल से सटे इस जिले में नेपाली नदियो का जाल बिछा है।जिस कारण अत्यधिक बारिश हो तो यहां बाढ,बारिश न हो तो सूखा जैसी हालात बनी रहती है। बाढ नियंत्रण के लिए बने आधे अधूरे तटबंध हर साल आने वाली बाढ के तांडव को रोक पाने में विफल साबित होते आ रही है।सबसे बड़ी बिडंबना तो यह है,कि गंडक,बूढी गंडक व बागमती जैसी नदियां यहां प्रवाहित होने के बाद भी इन नदियो से निकली अधिकांश नहरे सूखी है।वही दुसरी ओर सिंचाई के लिए लगाये गये ज्यादातर सरकारी नलकूप जर्जर अवस्था में है।
राज्य में चतुर्थ कृषि रोड मैप जारी होने के बाद भी चंपारण में बंद चीनी मिल चालू नही हो सका। बिड़ला समूह द्धारा मोतिहारी में 1933 में स्थापित हनुमान शुगर मिल्स व 1938 में ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन द्धारा स्थापित चकिया चीनी मिल वर्षो से बंद है। जिस कारण कैश क्रोप गन्ना उत्पादक किसानो की आमदनी न केवल कम हुई है,बल्कि इससे उनके मुंह की मिठास भी छीन गई है। साथ ही हजारों लोग बेरोजगार भी हो गए।
एक सर्वेक्षण के अनुसार इन चीनी मिलो के बंद होने से जिले के व्यवसाय पर खासा असर हुआ है।साथ ही पलायन के साथ किसान जमीन बेचने को मजबूर हुए है।यह बात दीगर है,कि गत दो तीन चुनाव में चीनी मिल बड़ा मुद्दा बना रहा।खुद पीएम मोदी ने मोतिहारी में यहां के चीनी मिल के चीनी से बनी चाय पीने की बात कर यहां के किसानो का वोट अपने पार्टी के उम्मीदवार को दिलाने में सफल रहे लेकिन न चीनी मिल खुला न ही वे यहां के चीनी का चाय पी सके। बीते एक दशक में यहां कृषि के क्षेत्र पीपरा कोठी कृषि अनुसंधान केंद्र को एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है लेकिन 17 लाख से वोटरो में करीब 50 फीसदी किसान वोटर जो बाढ,सूखा और चीनी मिल बंदी झेलते हुए निराश हो चुके है,वे आखिर किस कृषि पर अनुसंधान करे इसकी चर्चा किसानों के बीच जारी है...
हिन्दुस्थान समाचार/आनंद प्रकाश/चंदा