दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने में जिला चौथे स्थान पर
14851 लक्ष्य के आलोक में 9638 का प्रमाणपत्र बनाया गया है
किशनगंज,07दिसंबर(हि.स.)। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की अतिमहत्त्वाकांक्षी यूडीआईडी परियोजना के तहत सूबे में दिव्यांगजनों का कार्ड बनाने में जिला चौथे स्थान पर है। जिलाधिकारी तुषार सिंगला के दिशा-निर्देश के आलोक में सभी प्रखण्डों के वरीय पदाधिकारी यूडीआईडी कार्ड बनाने के लिए विभिन्न तरह के आयोजन कर अधिक से अधिक कार्डधारी दिव्यांगजनों को आधार से लिंक करने के लिए अपने-अपने प्रखंडों में ऑनलाइन कराना सुनिश्चित कर रहे हैं।
इसी क्रम में एपिड योजना के तहत ज़िले के सभी प्रखंड मुख्यालय में डीएम के आदेशानुसार स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष दिव्यांग शिविर का आयोजन किया गया जिसमें सभी प्रखड़ो के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा नया दिव्यंगता प्रमाण पत्र जारी किया गया एवम् श्री अविनाश राय, ज़िला वीबीडी सलाहकार-सह-ज़िला UDID कोऑर्डिनेटर द्वारा दिव्यांगजन को मौके पर ही UDID कार्ड से लाभान्वित किया गया। विशेष शिविर में कुल 127 नया दिव्यंगता प्रमाण पत्र एवम् 296 UDID कार्ड निर्गत किया गया।सूबे में पहले ज़िले का 5वां स्थान था, परंतु अभी ज़िले का चौथा स्थान है।
वीबीडीसी सलाहकार अविनाश रॉय ने बताया कि जिनका दिव्यांग प्रमाणपत्र नहीं बना है अथवा नवीकरण की आवश्यकता है, जिन दिव्यांग बच्चों का दिव्यांगता प्रमाणपत्र है, उसे कैंप में ले जाने की आवश्यकता नहीं है। दिव्यांग के प्रमाणपत्र के साथ यूनिक डिसेबिलिटी आइडेंटी कार्ड भी जारी किया गया। कुछ आवश्यकता वाले दिव्यांग बच्चों का भी प्रमाण पत्र और यूनिक डिसेबिलिटी आइडेंटी कार्ड बनाने को प्राथमिकता दी गयी। बौद्धिक अक्षमता विशिष्ट अधिगम, दिव्यांगता एवं ऑटिज्म का भी प्रमाणपत्र और यूडीआईडी बनाने का विशेष ख्याल रखा गया।
गौरतलब हो कि नाक,कान, गला, मूक-बधिर एवं मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चे का अपने सम्बंधित रोग का एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जांच कराकर जांच रिपोर्ट दिव्यांग आवेदन के साथ संग्लन करना आवयश्क है। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि जिले के सभी दिव्यांगजनों का ऑनलाइन दिव्यांगता प्रमाणीकरण सुनिश्चित करने के लिए यूडीआईडी कार्ड निर्गत किया जाना है।
विदित हो कि 14851 दिव्यांगजनों का यूडीआईडी कार्ड बनाने के लक्ष्य के आलोक में 9638 का प्रमाणपत्र बनाया गया है, जो 64.90 प्रतिशत है। विभाग द्वारा जारी ऑफलाइन दिव्यांगता प्रमाण पत्र राज्य में मान्य नहीं है। इसको ऑनलाइन सत्यापित करना अनिवार्य है। ऑफलाइन दिव्यांगता प्रमाण पत्र को ऑनलाइन नहीं होने के कारण यूडीआईडी कार्ड के अभाव में दिव्यांगजन सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं। जिले के सभी प्रमाणीकृत दिव्यांगजनों का शतप्रतिशत यूडीआईडी कार्ड बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
सिविल सर्जन ने बताया कि यूडीआईडी कार्ड बनाने के लिए प्रतिदिन कार्य किया जा रहा है। अभी तक जिनलोगों का यूडीआईडी कार्ड बन गया है लेकिन आधार से जोड़ा नहीं गया, उसको जोड़ने का कार्य तेजी के साथ किया जा रहा है। जिनका कार्ड नहीं बना है, उनलोगों को निम्नलिखित दस्तावेज को अपने साथ लाना पड़ेगा जिसमें मुख्य रूप से दिव्यांगता प्रमाणपत्र, आधारकार्ड या आवासीय प्रमाणपत्र, पहचानपत्र, फोटो के साथ उनकी विवरणी, आवासीय एवं पहचानपत्र से संबंधित भारत सरकार या बिहार सरकार द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र जैसे: मतदाता पहचान पत्र, विद्यालय पहचानपत्र, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार, पैन कार्ड, पासपोर्ट, बैंक पासबुक इत्यादि सक्षम पदाधिकारी द्वारा निर्गत प्रमाणपत्र मान्य होगा।
हिन्दुस्थान समाचार/धर्मेन्द्र/चंदा