विकसित भारत की परिकल्पना विकसित बिहार के बिना अधूरी:आईपीएस विकास वैभव
-एमजीसीयू में विकसित भारत पहल के तहत कार्यक्रम का आयोजन
पूर्वी चंपारण,28 सितम्बर (हि.स.)। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय (एमजीसीयू) ने 'विकसित भारत' पहल के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो संजय श्रीवास्तव ने की, और मुख्य अतिथि के रूप में आईपीएस और आईजी विकास वैभव उपस्थित रहे, जिन्होंने बिहार की समृद्ध धरोहर, वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की दिशा पर अपने विचार साझा करते चिंतन और पुनरुत्थान की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा,विकसित भारत की परिकल्पना विकसित बिहार के बिना पूरी नहीं हो सकती,उन्होने बिहार की उस धरोहर को रेखांकित किया जिसने प्राचीन विश्व में अपनी अमिट छाप छोड़ी।
वैभव ने युवाओं से आग्रह किया कि वे बिहार की गौरवशाली अतीत का ध्यान करते इस बात का चिंतन करे कि आखिर बिहार का पतन क्यों हुआ ? उन्होंने बिहार के पूर्वजों के व्यापक दृष्टिकोण से प्रेरणा लेकर वर्तमान पीढ़ी को भविष्य निर्माण और राष्ट्रीय प्रगति के लिए अपनी सामूहिक ऊर्जा का उपयोग करने पर जोर दिया।कार्यक्रम के स्वागत भाषण में भाषा संकाय के अधिष्ठाता प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने बिहार के गौरवशाली अतीत की चर्चा करते हुए इसे भविष्य के निर्माण का आधार बताया।अपने अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने बिहार की समृद्ध कृषि और मछली आधारित अर्थव्यवस्था की चर्चा की, जो कभी फली-फूली थी, लेकिन शिक्षा, कानून और व्यवस्था, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में प्रणालीगत विफलताओं के कारण राज्य पिछड़ता गया। उन्होंने बिहार के उच्च शिक्षा तंत्र में सुधार के लिए व्यापक शोध की आवश्यकता पर बल दिया और कई सुधारात्मक उपायों का प्रस्ताव रखा।
उन्होने कहा कि 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के मार्ग में बिहार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने रक्सौल हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण का उल्लेख करते हुए कहा कि बिहार की कनेक्टिविटी में सुधार हो रहा है और इससे राज्य में नए अवसर उत्पन्न होंगे।बुद्ध परिसर के निदेशक प्रो. रणजीत चौधरी ने कहा कि विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में बुनियादी ढांचे की भूमिका महत्वपूर्ण है।
प्रो. शिरीष मिश्रा,अधिष्ठाता, वाणिज्य एवं प्रबंधन विज्ञान विभाग ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कहा कि ऐसे कार्यक्रम न केवल अकादमिक विमर्श को बढ़ावा देते हैं, बल्कि छात्रों के मन में अपने राज्य और राष्ट्र के विकास में सक्रिय योगदान की भावना भी उत्पन्न होती है।कार्यक्रम का संचालन डॉ. उमेश पात्रा ने किया। मौके पर विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, शोधार्थी और प्रशासनिक कर्मचारी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार