कोसी के बांस से निर्मित सामानों से महानगरों में होती है छठ पूजा
सहरसा,27 अक्टूबर (हि.स.)। लोक आस्था का महापर्व छठ पर्व का विशेष पौराणिक महत्व है।यह पर्व अब पूरे देश में मनाया जाने लगा है।छठ पर्व में बांस के सूप,डाला, दउरा, कोनिया का अलग ही महत्व होता है लेकिन आधुनिक दौर में लोग अपनी जरुरत के हिसाब से पीतल, तांबा, स्टील का डाला और सूप उपयोग करने लगे हैं।जिस कारण बिहार एवं उत्तर प्रदेश में रहने वाले लोग छठ पूजा को पूरी आस्था एवं निष्ठा पूर्वक मनाते हैं।
लोकआस्था के इस महापर्व में बांस से बने उत्पादों की बिक्री खूब बढ़ जाती है।बिहार से बाहर महानगर में रहने वाले लोग भी बांस से बने उत्पादों से पर्व मनाते हैं। इस कारण कोसी क्षेत्र से देश की महानगरों में बड़ी संख्या में बांंस से बने टोकरी एवं सूप भारी मात्रा मे भेजा जा रहा है। रेल सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार सहरसा पार्सल द्वारा अब तक 30 क्विंटल से अधिक समान भेजा जा चुका है।
सूत्रों की माने तो सहरसा से अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, चंडीगढ़ एवं आनंद विहार के लिए 165 पैकेट यानी 900 सामग्री अब तक भेजी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि छठ पर्व के एक महीना पूर्व से ही विभिन्न शहरों में यहां से बांंस से बने उत्पादों को भेजा जा रहा है। जिसके कारण रेल राजस्व के रूप में अब तक ₹17000 रुपए की आय प्राप्त हो चुकी है।
ज्ञात हो कि कोसी क्षेत्र से रेल पार्सल के द्वारा मछली मखाना तथा पर्व त्यौहार के दिनों में बांस से बने उत्पादों की मांग अत्यधिक बढ़ जाने के कारण यहां से पार्सल द्वारा बुक कराए जाते हैं। उन्होंने बताया कि वही रेल पार्सल कार्यालय द्वारा यहां के व्यापारियों द्वारा बाहर से खिलौना एवं फल की आवक होती है।आधुनिक दौर में छठ पूजा में पीतल के सूप और दउरा की मांग बढ़ी है। जिसकी वजह से बांस से बने सुप, दउरा कारोबारा पर खासा असर पड़ा है।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय
/चंदा