कांचहि बांस के बहंगिया छठ गीत से गुंजायमान हुआ शहर,चैती छठ पर अस्ताचल गामी सूर्य को दिया अर्घ

 




सहरसा,14 अप्रैल (हि.स.)। लोक आस्था का महापर्व छठ का त्योहार वर्ष में दो बार मनाया जाता है। एक पर्व चैत्र माह में और दूसरा कार्तिक माह में दीपावली के पश्चात मनाया जाता है।वही चैती छठ को लेकर शहर के शंकर चौक स्थित ठाकुरबाड़ी मंदिर परिसर स्थित पोखर में छठव्रतियों ने रविवार को सायंकालीन अर्घ दिया।वही सोमवार को उदयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ इस पर्व का समापन होगा।

इस अवसर पर कांचहि बांस के बहंगिया सहित छठी मैया के गीत सें सभी छठ घाट गुंजायमान रहा।जहां व्रतियों नें श्रद्धा व आस्था के साथ जल मे खड़ा होकर सूर्य की आराधन कर अर्घ्य अर्पण किया। छठ पर्व महिलाएं अपनी संतान की अच्छे स्वास्थ्य और उन्नति के लिए लगातार 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को चैती छठ का पर्व मनाया जाता है। यह महापर्व 4 दिन तक मनाया जाता है।

छठ पूजा के नियम छठ पूजा के समय पूर्णत: पवित्रता का ख्याल रखा जाता है।वही जूठे बर्तनों को छूने की मनाही है।छठ पूजा में जो प्रसाद अर्पित किया जाता है। वह खंडित नहीं हो इसका विशेष ध्यान रखना पड़ता है।कठिन साधना वाले इस व्रत में प्रसाद बनाने से पूर्व स्नान कर हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है। इस दिन व्रती के साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी सात्विक भोजन का सेवन करना पड़ता है।

छठ घाट के व्यवस्थापक रंजीत दास ने बताया कि चैती छठ व्रत कठिन होने के बावजूद लोगों की भारी भीड़ हूई।वही प्रतिवर्ष इसके संख्या में बढ़ोतरी भी देखी जा रही है।इस वर्ष सैकड़ो महिला पुरुष व्रतियो ने पानी मे खड़ा होकर सूर्य की आराधना की।इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने छठ घाट की बेहतर साफ-सफाई कर व्यवस्था में सराहनीय योगदान दिया।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा