बूढ़ी काली मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में हुई वैशाख अमावस्या पर पूजा

 


किशनगंज,07मई(हि.स.)। शहर के लाइन स्थित बूढ़ी काली मंदिर व रुईधासा कालितला मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में मंगलवार को वैशाख अमावस्या पर पूजा हुई। बूढ़ी काली मंदिर में मंदिर के पुरोहित मलय मुखर्जी के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां काली की पूजा अर्चना की गई।

पूजा को लेकर मंदिर में आने वाले श्रद्धालु उत्साहित थे। भक्त सुबह से ही माता के दर्शन के लिए मंदिर पहुंच रहे थे। भक्त बढ़ चढ़ कर पूजा में शामिल हुए थें। मंदिर में मां काली की पूजा की गई। पूजा के दौरान पुष्पांजलि भी दी गई।

कमिटी के अमित दास, मनोज मजूमदार, कल्याण बोस व साधन दास ने बताया कि प्रत्येक माह के दूसरे या अंतिम सप्ताह में अमावस्या पूजा आयोजित की जाती है। अमावस्या पूजा धूमधाम से की जाती है। पूजा के बाद भक्तों के बीच खिचड़ी महाप्रसाद का वितरण किया गया।

महाकाल मंदिर में मंगलवार को अमावस्या पूजा की गई। महाकाल मंदिर के पुरोहित गुरु साकेत ने बताया कि इस बार वैशाख अमावस्या 8 मई को मनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में वैशाख अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। इसी महीने में त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। वैशाख माह में पड़ने वाली अमावस्या को वैशाख अमावस्या कहते हैं।

गुरु साकेत कहते है कि वैशाख अमावस्या पर कुंडली में मौजूद कालसर्प जैसे कष्टकारी दोषों को आसानी से दूर किया जा सकता है। वैशाख अमावस्या पर दान-स्नान और पितरों का तर्पण अत्यंत कल्याणकारी माना गया है। गुरु साकेत कहते है वैशाख अमावस्या के दिन स्नान-दान की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण या कर्मकांड करने से बहुत पुण्य मिलता है। वैशाख अमावस्या के दिन बहते हुए जल में तिल का प्रवाह कर सकते हैं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का संचार होता है। वैशाख अमावस्या के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना बेहद शुभ होता है। स्नान और पूजन के बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करना भी बेहद फलदायी माना गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/धर्मेन्द्र/चंदा