विकसित भारत संकल्पना और भारत को विकसित बनाना एक संकल्प:डा.भटनागर
-केविवि में व्याख्यान का आयोजन
पूर्वी चंपारण,15 दिसबंर(हि.स.)।महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थित आचार्य बृहस्पति सभागार में शुक्रवार को विकसित भारत : संकल्प एवं संकल्पना विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया।जिसमें विशिष्ट वक्ता के रूप में जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. आशुतोष भटनागर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव ने किया। जबकि इसके संयोजक संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. बबलू पाल व सह-संयोजक हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. श्याम नन्दन'' और डॉ. गोविंद प्रसाद वर्मा थे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियो ने माँ सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित और द्वीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते विशिष्ट वक्ता डॉ. आशुतोष भटनागर ने कहा कि विकसित भारत एक संकल्पना है और भारत को विकसित करना संकल्प है, जिस पर प्रधानमंत्री हमेशा चर्चा करते रहते हैं। अब्दुल कलाम के 2020 का विकसित रूप है विकसित भारत संकल्पना। उन्होंने कहा कि भारत क्या है ये जानने के लिए बच्चों को किताबें नहीं पढ़नी पड़ती, भारत क्या है वो गोदी में खेलते- कुदते सीखते रहते हैं। जो किताबों में लिखा है भारत मात्र उतना ही नहीं है बल्कि भारत की जनता जैसा जीवन की रही है, जैसा भारतीय नागरिकों का विचार,व्यवहार और संस्कार है, उनकी परंपराएं हैं , उनका समग्र रूप ही ''भारत''है। गुलामी की मानसिकता से बाहर आकर ही भारत को विकसित बनाया जा सकता है ।
भारत को समझने के लिए भारतीय दृष्टिकोण चाहिए। भारत पहले विश्व गुरु था। हम दुनियाभर में समान बेचते थे। पूरी दुनिया में हमारा व्यापार फैला था। देश में काफी समृद्धि थी और भारत उद्योग और व्यवसाय में भारत नंबर एक पर था इसलिए इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था। ऐसे में हम जब तक गुलामी की मानसिकता से बाहर नहीं निकलेंगे तब तक भारत विकसित नहीं हो पाएंगा। भारतीयता तब आएगी जब गुलामी की मानसिकता से हम बाहर निकलेंगे । कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा कि भारत को जानने के लिए मूल शब्दों को और ग्रंथों को पढ़ना और समझना होगा। मूल ग्रंथों को पढ़ कर भारत की समझ विकसित होगी।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति संजय श्रीवास्तव'' ने कहा कि यह गांधी की भूमि है, जहां से पहले सत्याग्रह को आगे बढ़ाया गया था। जहां देश को अंग्रेजों के विरुद्ध चलना, लड़ना व अलग नजरिए से देखना सिखाया गया था। आज के समय में हम सबको भारत को भारतीय दृष्टिकोण से देखने, भारत के लोगों में भारतीयता का संस्कार भरने, विचार भरने और भारतीय मूल्यों को अपने व्यवहार में उतारने का संकल्प लेना होगा। 2047 तक भारत को विकसित बनाना हमारा लक्ष्य है और अपनी युवा पीढ़ी पर हमें विश्वास है कि हम इस लक्ष्य में एक साथ काम करते हुए सफल होंगे। कार्यक्रम में प्रोफेसर रंजीत चौधरी डॉ . जुगल किशोर दाधीच, डॉ. गरिमा तिवारी, डॉ. आशा मीणा, डॉ दीपक, डॉ अंजनी झा शिक्षक छात्र व शोधार्थी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/आनंद प्रकाश/चंदा