स्वतंत्रता संग्राम में चंपारण का ऐतिहासिक योगदान:प्रो.आनंद कुमार
पूर्वी चंपारण,25नवंबर(हि.स.)।देश के स्वतंत्रता संग्राम में चंपारण का ऐतिहासिक योगदान है। चंपारण की लोक शक्ति ने गांधी जी को जो समर्थन दिया उसमें जसौली पट्टी एक मील का पत्थर है।हम सब जसौली पहुंचकर स्वतंत्रता सेनानी लोमराज बाबू की प्रतिमा को साक्षी मानकर उनके ऐतिहासिक क्षण की स्मृति को ताजा करने आए हैं।उक्त बातें वरीय गांधीवादी जेएनयू के प्रोफेसर आनन्द कुमार ने जसौली पट्टी में लोमराज सिंह की प्रतिमा को सूत की माला पहना कर श्रद्धाजंलि देते हुए कही।
उन्होंने कहा हमें खुशी है यहां पर गांधी जी की जसौली पट्टी यात्रा की स्मृति में युवा पीढ़ी प्रत्येक वर्ष 16 व 17 अप्रैल को चंपारण सत्याग्रह समारोह मनाते है। यह सुखद संकेत है,क्योकी जो समाज अपने पुरखों की यादों को संजो कर रखता है उसका भविष्य उज्जवल होता है। आशा है इस गांव में पुस्तकालय के लिए उपलब्ध भूमि पर पुस्तकालय भवन का निर्माण एवं गांधी जी की एक स्मृति चिन्ह प्रतिमा लगाने का काम शीघ्र पूरा होगा। बिहार की सरकार और भारत के सर्व सेवा संघ के लोग इस गाँव को अपने लिए एक तीर्थ स्थल बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे ।
महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्याल के प्रो डॉ मृत्युंजय कुमार यदुवेन्दू के कहा कि स्वतन्त्रता सेनानियों की लंबी सूची है, इनमें लाखों ऐसे है जो आज भी गुमनाम है। आज की नयी पीढ़ी और इतिहासकारों का यह दायित्व है कि इन सेनानियो पर गहन शोध कर ऐसे भूले- बिसरे क्रांति पुत्रों से परिचय कराये।ताकि उन्हे सच्ची श्रद्धांजलि मिल सके।
इस अवसर पर लोमराज सिंह की प्रपौत्र राजन कुमार सिंह के द्वारा प्रो आनन्द कुमार को अंगवस्त्रम दे कर सम्मानित किया। जबकि आगत अतिथियों का स्वागत सामाजिक कार्यकर्ता विनय कुमार ने किया और चम्पारण सत्याग्रह में लोमराज बाबू और जसौली पट्टी की लोक शक्ति पर प्रकाश डाला।
हिन्दुस्थान समाचार/आनंद प्रकाश/चंदा