बिहार में संवैधानिक अधिकार एवं श्रमिक अधिनियम का हो रहा है उल्लंघन : डॉ. सुरेश राय
बेगूसराय, 29 नवम्बर (हि.स.)। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों को विद्यालय में सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक रहने के आदेश से शिक्षक समाज में भारी आक्रोश है तथा इसकी तीखी निंदा की जा रही है। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष डॉ. सुरेश प्रसाद राय ने इस आदेश को निंदनीय बताया है।
उन्होंने कहा कि बिहार के माध्यमिक शिक्षा निदेशक के ज्ञापांक 2707 एवं संचिका संख्या 11/वि 11-228 द्वारा 28 नवम्बर के द्वारा शिक्षकों एवं कर्मचारियों को उकसाने का कार्य किया जा रहा है, जो कि बहुत ही निंदनीय है। श्रमिक अधिनियम के तहत हरेक श्रमिक को आठ घंटे काम करने का अधिकार है। जिसको बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के बेलगाम नौकरशाहों के द्वारा श्रमिक अधिनियम को धत्ता बताते हुए पत्र निर्गत किया जाता है।
उन नौकरशाहों को यह भी पता नहीं है कि जो शिक्षिका सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में कार्यरत हैं, वे शिक्षिका कैसे शाम पांच बजे के बाद अपने घर वापस जाएगी तथा उनके सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा। उन्होंने कहा कि हमारे देश के संविधानों में निहित प्रावधान है। देश के अंदर हरेक नागरिक को संघ संगठन बनाने का अपना मौलिक अधिकार है। वह कहीं भी अपने अधिकार के लिए अहिंसक तरीके से धरना प्रदर्शन कर सकता है।
उन्होंने कहा कि संघ संगठन का दर्जा देने वाला शिक्षा विभाग कौन होता है। इसके लिए अलग से संस्था है जो कि संगठन का मान्यता देता है। ऐसे अफसर के कारण ही राज्य के समाजिक, राजनीतिक एवं शैक्षणिक माहौल खराब होता है। हमारी मातृ संगठन बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ 1925 में स्थापित हुई है जो कि अपने सौवें बसंत की ओर अग्रसर है।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष डॉ. सुरेश प्रसाद राय, जिला माध्यमिक शिक्षक संघ बेगूसराय के अध्यक्ष उमानंद चौधरी, उपाध्यक्ष भगीरथ प्रसाद राय, मूल्यांकन परिषद अध्यक्ष मो. सलीम उद्दीन ने मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से मांग किया है कि स्वयं हस्तक्षेप कर ऐसे पत्र को निरस्त करें। यह बहुत ही गलत आदेश है, यह आदेश निरस्त हो, ऐसा करने वाले अधिकारी पर कार्रवाई हो।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/गोविन्द