आनंदी दास अपने हाथ से मूर्ति निर्माण कर विगत 51वर्षो से मना रहे चैत्र नवरात्र

 


सहरसा,17 अप्रैल (हि.स.)।भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा, विश्वास आस्था व समर्पण के साथ निष्ठापूर्वक किया गया पूजा-पाठ कभी निष्फल नही होता है,बल्कि कलियुग मे भी पूर्ण समर्पण भाव से किये गए पूजा-पाठ से प्रसन्न होकर भगवान अपने भक्तों को साक्षात दर्शन देकर उनकी मनोकामना पूर्ण करते है।वही ममतामयी एवं वात्सल्यमयी माता भगवती की बात ही निराली है।जो प्रसन्न होने पर साधक की सभी मनोवांछित कामना पूर्ण करती है।कुछ ऐसा ही वाक्या आनंदी दास के साथ हुआ, जिसके कारण उनकी दशा व दिशा दोनों में क्रांतिकारी परिवर्तन आया।

गंगजला बम्पर चौक निवासी आनंदी दास ने बताया कि शुरुआत के दिनों मे मेरा परिवार काफी सुखी था लेकिन परिवार में अन्यान्य भाइयों द्वारा सब संपति हड़प कर मुझे बेसहारा छोड़ दिया गया लेकिन हम सबकुछ भगवान को सौंप कर किसी तरह गुजर बसर कर रहे थें।वही भगवान के प्रति पूर्ण आस्था के साथ पूजा-पाठ करता रहा ।इसी क्रम मे भगवती ने मुझे साक्षात दर्शन देकर सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया।वही अपने हाथ से मूर्ति निर्माण कर पूजा-पाठ करने का आदेश दिया।इसके बाद मैनें अपने हाथ से मूर्ति निर्माण कर वर्ष 1973 से पूजा-पाठ आरंभ किया।

श्रीदास ने बताया कि पूजा आरंभ करने के बाद मुझे जिला परिषद में नौकरी मिल गई। उसके बाद मेरे जीवन मे क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ। वही पुत्र पौत्र धन धान्य से परिपूर्ण होकर सपरिवार पूजा-पाठ मे संलग्न हूं।उन्होंने बताया कि अब तो मूर्ति निर्माण मे मेरा पुत्र भी निपुण हो गया है।वे अपने पुत्र बृजेश कुमार चंद्रशेखर दास एवं बंटी बिजली मिस्त्री को भी मूर्ति निर्माण की कला में पारंगत कर दिया है। अब यह लोग भी मूर्ति बनाने में निपुण हो गये है।

इस अवसर पर पंडित रविंद्र झा,कन्हैया झा, गुलशन कुमार झा,विवेकानंद झा एवं प्रेम झा ने बताया कि चैत नवरात्रि के में सप्तशती मंत्रों द्वारा पूरे विधि-विधान से हवन अनुष्ठान किया जा रहा है।साथ ही वर्ष के चारो नवरात्रा में कलश स्थापना कर व्रत उपवास एवं सप्तशती पाठ का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि कार्तिक महीने में मां काली की प्रतिमा, चैत्र नवरात्र में दुर्गा जी की प्रतिमा के साथ-साथ लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश, कार्तिक, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम, लक्ष्मण, सीता एवं बजरंग बली की प्रतिमा का निर्माण कर श्रद्धा एवं भक्ति भाव के साथ पूजा अर्चना की जाती है। इस मौके पर साधक की तीसरी पीढ़ी विनीत कुमार, विक्की कुमार, सोनू कुमार, अंशु कुमार एवं देवव्रत कुमार के द्वारा भी पूजा पाठ में सराहनीय योगदान दिया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा