कृषि विभाग के मक्का बीज ने किसानों को दिया धोखा, 20-25 प्रतिशत ही हुआ अंकुरण
बेगूसराय, 29 नवम्बर (हि.स.)। केन्द्र एवं बिहार की सरकार किसानों के उत्थान और उनकी सुविधा को लेकर सही बीज-खाद उपलब्ध कराने के लिए काफी प्रयास कर रही है। इसके बावजूद सरकार द्वारा अनुदानित उपलब्ध दर पर रवि सीजन के लिए उपलब्ध कराया जा रहे मक्का के बीज ने किसानों को जबरदस्त धोखा दे दिया है।
सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए बीज का जनरेशन मात्र 20 से 25 प्रतिशत होने के कारण किसानों में हड़कंप मच गया है। किसानों ने किसी तरह से काफी परिश्रम कर अपने खेतों को तैयार किया, नमी लाने के लिए पटवन किया, खाद दिया। उसके बाद बीज लगाने पर मक्का का अंकुरण (जेनरेशन) नहीं हुआ तो हर ओर हड़कंप मच गया है।
जिले भर के हजारों किसानों के खेत में अंकुरण नहीं होने के बाद अफरा-तफरी की स्थित है। हालांकि सबसे पहले जानकारी मिलते ही छौड़ाही के प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने मंझौल अनुमंडल कृषि पदाधिकारी को पत्र लिखकर बीज वापस करने का अनुरोध किया है। इसके बाद अनुमंडल कृषि पदाधिकारी ने अंकुरण की जांच करने का आदेश दिया है।
इस संबंध में किसानों का कहना है कि कृषि विभाग द्वारा एनएफएसएम योजना के तहत हम लोगों को रवि सीजन के लिए डीएचएम-117 प्रभेद के मक्का का बीज 70 रुपये किलो उपलब्ध कराया गया है। विभाग एक महीने से बीज का वितरण कर रहा है। हम लोगों ने कड़ी मेहनत करके बीज लगाया। लेकिन बीज का अंकुरण 20 से 25 प्रतिशत हुआ, इस पर कृषि विभाग एक्शन ले।
छौड़ाही, सदर प्रखंड, मटिहानी एवं बरौनी यदि प्रखंडों के किसानों ने बताया की सरकार अनुदानित दर पर बीज देती है। लेकिन विभागीय अधिकारी बगैर जांच-पड़ताल के हम लोगों को बीज उपलब्ध करवा देते हैं। अब सीजन भी लेट हो चुका है, पैसा के साथ-साथ समय की बर्बादी हुई। ऐसे में सरकार मुआवजा दे, अन्यथा हम लोग खून के आंसू रोने को विवश हैं।
पीड़ित किसानों का कहना है कि मुआवजा देने के साथ-साथ सरकार द्वारा ऐसी बीज कंपनियों को प्रतिबंधित किया जाए। जब उन्नत प्रभेद और सही अंकुरण होने की बात कह कर कृषि विभाग ने डीएचएम-117 क्वालिटी का बीज उपलब्ध करवाया तो उसमें जेनरेशन नहीं होने के लिए दोषी कौन है। दोषी पर करवाई और हम लोगों को मुआवजा नहीं मिला तो हम किसानों की स्थिति बदतर हो जाएगी।
इस संबंध में जानकारी लेने के लिए जिला कृषि पदाधिकारी से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। जिले के हजारों किसान इस धोखाधड़ी से परेशान हैं। अब सबकी आशा सिर्फ सरकार एवं डीएम पर ही टिकी हुई है। किसानों का कहना है वरीय कृषि पदाधिकारी बगैर जांच-पड़ताल के बीज देकर खेत पर आते भी हैं तो सिर्फ फोटो खिंचाने की औपचारिकता की जाती है।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा