यूनिवर्सिटी में बजट के लिए दो बार बैठक एवं कम से कम एक सौ शोध प्रतिवर्ष हों:राज्यपाल

 


पूर्णिया, 2 फरवरी (हि. स.)। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर पूर्णिया विश्वविद्यालय के चौथे सीनेट बैठक में शिरकत करने पूर्णिया पहुंचे ।वे प्राइवेट हेलीकॉप्टर से सीनेट की बैठक में हिस्सा लेने पूर्णिया यूनिवर्सिटी पहुंचे।

यूनिवर्सिटी में सर्वप्रथम उन्हें पूर्णिया प्रशासनिक भवन परिसर में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद वे सीनेट की बैठक में शामिल होने सीनेट हॉल में पहुंचे। सीनेट सदस्यों के बीच वीसी राजनाथ यादव ने राज्यपाल के समक्ष उपलब्धियां और कार्यों का विवरण दिया।

सीनेट सदस्यों के बीच राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर अध्यक्षीय भाषण में कहा कि बजट की बैठक में अलग से बैठक की आवश्यकता है। बैठक साल में दो बार हो जिससे सभी विषयों पर चर्चा हो सके और हर तरह के आने वाले समस्याओं का समाधान किया जा सके। राजभवन के कामकाज के साथ ही विश्वविद्यालय के कामकाज में पारदर्शिता आवश्यक है।ऐसा होने से भांति भांति के आरोप -प्रत्यारोपों को निरस्त किया जा सकेगा।

राज्यपाल ने अपने भाषण के दौरान कहा कि सत्र, परीक्षा और रिजल्ट के विलंब का कारण आउटसोर्सिंग एजेंसी है । उन्होंने कहा कि आउटसोर्सिंग एजेंसियां चाहती है कि किसी भी प्रकार विश्वविद्यालयों की डिपेंडेसी उनके ऊपर हो ताकि वे अपनी मनमानी चला सकें। उन्होंने महाराष्ट्र का अनुभव शेयर करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में आउटसोर्सिंग जैसी कोई चीज नहीं है । विश्वविद्यालय के कर्मी ही सत्र, परीक्षा और रिजल्ट और दूसरी अकादमिक कार्यों को पूरा करें।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कर्मियों को तकनीकी रूप से ट्रेंड करने की जरूरत है। एडमिशन कॉलेज लेवल पर ही होना चाहिए। कॉलेज में एडमिशन स्थानीय स्तर पर हो ताकि बच्चे नियमित रूप से पठन -पाठन में भाग ले सकें। सीनेट और विश्वविद्यालय के बीच विश्वास का नाता बनाने की अत्यंत आवश्यकता है।

राज्यपाल ने प्रमोशन पर बोलते हुए कहा कि सभी विश्वविद्यालयों में टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ का प्रमोशन समय पर करने की जरूरत है। टीचिंग स्टाफ यानी प्रोन्नति कर्मियों का हक मिलना या दिलवाना हमारी दया नहीं बल्कि कर्तव्य व विधिसम्मत है। समय पर प्रोन्नति न होने के कारण हमारे ऐसे कर्मी आवेदन भी नहीं दे पाते। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय शोध के लिए होता है उसे कॉलेज न बनाया जाए। सभी विश्वविद्यालय से प्रत्येक वर्ष 100 शोध होने की जरूरत है तभी विश्वविद्यालय की प्रासंगिकता सामने आ पाएगी।

कुलपति राजनाथ यादव के बजट सत्र की अध्यक्षीय भाषण के बाद सीनेट सदस्य विधान पार्षद डॉक्टर रजनीश रंजन, डॉक्टर संजीव कुमार, राकेश कुमार, कौशल्या जायसवाल ने अपनी अपनी बातों को रखा।

हिन्दुस्थान समाचार/नंदकिशोर/चंदा