डॉक्टर की निस्वार्थ सेवा भाव के उदाहरण हैं डॉक्टर विकास
पूर्णिया, 13 मई (हि.स.)। जीएमसीएच के चिकित्सक डॉ. विकास कुमार ने एक बार फिर अपनी निस्वार्थ सेवा भावना का परिचय दिया है। कल रात करीब 10 बजे डॉ. कुमार को सूचना मिली कि एक 1.5 वर्षीय बच्चे के नाक में पत्थर का टुकड़ा फंस गया है और बच्चे की हालत गंभीर है। यह सुनते ही डॉ. कुमार बिना देरी किए अपने घर से निकल पड़े और अस्पताल पहुंचकर बच्चे के इलाज में जुट गए।
उन्होंने तुरंत ही उपचार की क्रिया शुरू की और बच्चे के नाक से सफलतापूर्वक पत्थर को निकाला। बच्चे के नाक में फसे पत्थर का आकार मूंगफली के दाने से भी बड़ा था। डॉक्टर ने बताया कि अगर इलाज में विलम्ब होता तो नाक में सूजन होने के कारण पत्थर को जटिल ऑपरेशन के बाद ही नाक से निकाला जा सकता था। इलाज के पश्चात् डॉक्टर ने बच्चे की हालत स्थिर करने के बाद उसे अभिभावकों को सौंप दिया।
बच्चे के परिजन डॉ. कुमार की निस्वार्थ सेवा भावना से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने बताया कि खेलने के दौरान बच्चे ने नाक में पत्थर फंसा लिया था जिसके बाद बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होने लगी और बच्चे ने रोना शुरू कर दिया। अभिभावक काफ़ी डर गए और घबराकर सदर अस्पताल आए तो पता चला कि डॉक्टर ऑफ ड्यूटी थे। डॉक्टर को
जैसे ही उन्हें सूचना दी गई उन्होंने बिना देरी किए घर से आकर बच्चे का इलाज किया।
अस्पताल के अन्य डॉक्टरों ने भी डॉ. कुमार की इस सराहनीय कार्य की प्रशंसा की है। उनका कहना है कि डॉ. कुमार हमेशा से ही मरीजों की सेवा को प्राथमिकता देते आए हैं और पूर्व में भी कई बार डॉक्टर कुमार ने बच्चे के गले में फसे हुए सिक्के को सफलतापूर्वक सरकारी अस्पताल में ही निकलवाया है, डॉक्टर कुमार आपात स्थितियों में भी तत्काल इलाज करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
हिंदुस्थान समाचार/नंदकिशोर/चंदा