लॉकडाउन में चली गयी नौकरी तो काशी के दो भाइयों ने शुरू कर दी स्ट्राबेरी की खेती, अब कमा रहे लाखों 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्मनिर्भर भारत का अलख पूरे देश में जगा रहे हैं। ऐसे में उनके संसदीय क्षेत्र के दो भाइयों की आत्मनिर्भरता इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है। लॉकडाउन में जब दोनों की नौकरी चली गयी तो उन्होंने जीवकोपार्जन के लिए एक ऐसी खेती शुरू की जो बनारस में संभव नहीं थी पर जो लोग आगे बढ़ते हैं उन्हें राह मिलती जाती है कि तर्ज़ पर दोनों दोस्तों ने स्ट्राबेरी की खेती शुरू की और आज उससे लाखों कमा रहे हैं। 
 

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्मनिर्भर भारत का अलख पूरे देश में जगा रहे हैं। ऐसे में उनके संसदीय क्षेत्र के दो भाइयों की आत्मनिर्भरता इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है। लॉकडाउन में जब दोनों की नौकरी चली गयी तो उन्होंने जीवकोपार्जन के लिए एक ऐसी खेती शुरू की जो बनारस में संभव नहीं थी पर जो लोग आगे बढ़ते हैं उन्हें राह मिलती जाती है कि तर्ज़ पर दोनों दोस्तों ने स्ट्राबेरी की खेती शुरू की और आज उससे लाखों कमा रहे हैं। 

काशी के दो भाइयों रमेश मिश्रा और मदन मोहन तिवारी के द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान से प्रेरणा लेकर शुरू की गयी खेती पर देखिये ये विशेष रिपोर्ट। 

पूरे देश की निगाहें इन दिनों टीवी सेट पर किसान आंदोलन की पल पल की ख़बरें जानने के लिए लगी हुई हैं। ऐसे में काशी के दो भाई अपने खेत में स्ट्राबेरी की फसल को लहलहाता देख रहे हैं। पेशे से बास्केटबाल के नेशनल खिलाड़ी और एक निजी कालेज में बास्केटबाल के कोच रमेश मिश्रा ने बताया कि लाकडाउन लगा तो सभी स्कूल कालेज बंद हो गए। कुछ दिन ठीक चला पर फिर धीरे धीरे हालत बद से बदतर होने लगी। इसी दौरान एक परिचित ने हमसे स्ट्राबेरी की खेती की बात की। हमने उनसे कहा कि बनारस की मिट्टी में स्ट्राबेरी कैसे उगाएंगे तो उन्होंने मुझे पुणे बुलाया जिसपर मै अपने भाई मदन मोहन के साथ वहां पहुँच गया। 

रमेश ने बताया कि पुणे के महाबलेश्वर में स्ट्राबेरी की बड़े स्तर पर खेती हो रही है। हाल ही में पश्चिमी महाराष्ट्र के महाबलेश्वर-पंचगनी इलाके में उगाई जाने वाली स्ट्रॉबेरी को अब जीआई का दर्जा मिल गया है। उन्होंने हमें इसके फायदे बताये और इसकी  के छिड़काव आदि के बारे में बताया जिसके बाद हमने 15 रुपये के हिसाब से 15 हज़ार पौधे स्ट्राबेरी के वाराणसी मंगवाए। 

रमेश के भाई मदन मोहन ने बताया कि हम लोग अमरा खैरा गाँव में स्ट्राबेरी की खेती की शुरुआत की है। ये ठंड के सीज़न में होती है। इसके पहले दिल्ली से आती थी स्ट्राबेरी अब हम इसे बनारस में उगा रहे हैं। हमने इसकी शुरुआत आपदा में की और ये आपदा में अवसर का नतीजा है जो आज हम लाखों कमा रहे हैं। 

मदन ने बताया कि हम लोगों के पास एक दोस्त से चार बीघे की ज़मीन लीज़ पर लिया है। यह ज़मीन चारों तरफ से घिरी हुई है। यह पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती है। मिटटी का शोधन और पीएच टेस्ट कराने के बाद हमने स्ट्राबेरी की खेती की शुरुआत की है। इस वर्ष हमने इसे शुरू किया है अगले वर्ष हमें इसमें ज़्यादा मुनाफ़ा होने की संभावना है।

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