कोलकाता में दुबई के बुर्ज खलीफा में स्थापित हुईं मां दुर्गा, मां के जयकारे से गूँज उठा बंगाल

इस समय पूरे देश में दुर्गा पूजा की धूम है। खासकर पश्चिम बंगाल में इस पर्व पर एक अलग उत्साह और उमंग देखने को मिलता है. क्योंकि यहां की दुर्गा पूजा सबसे खास मानी जाती है। यहां की दुर्गा पूजा के दौरान विशेष थीम पर आधारित पंडाल आकर्षक के केंद्र होते हैं और उनके चर्चे देश ही नहीं विदेश में भी होते हैं।
 
 

कोलकाता/वाराणसी। इस समय पूरे देश में दुर्गा पूजा की धूम है। खासकर पश्चिम बंगाल में इस पर्व पर एक अलग उत्साह और उमंग देखने को मिलता है. क्योंकि यहां की दुर्गा पूजा सबसे खास मानी जाती है। यहां की दुर्गा पूजा के दौरान विशेष थीम पर आधारित पंडाल आकर्षक के केंद्र होते हैं और उनके चर्चे देश ही नहीं विदेश में भी होते हैं।

 

इस बार भी यहां के पंडालों को भव्य तरीके से सजाया गया है। पंडाल आयोजकों ने शरणार्थियों का पलायन, लॉकडाउन, एनआरसी और भारत विभाजन, किसान आंदोलन ऐसे कई मुद्दों को आधार बनाकर अपने पंडालों और मूर्तियों को भव्यता से तैयार किया है।  इसके अलावा लेक टाउन में बना दुर्गा पूजा पंडाल दुबई के बुर्ज खलीफा टॉवर की तर्ज पर बनाया गया है जो इस बार सबसे बड़ा दुर्गापूजा का आकर्षण है।  इस पंडाल का चर्चा भारत से ज़्यादा दुबई में हो रहा है।

 

इसके अलावा इस बार आप बंगाल की दुर्गा पूजा में आस्था के साथ राजनितिक रंगों से सजे पंडाल की झलक देख सकते है। आइये आज LIVE VNS आपको कोलकाता के कुछ ऐसे ही खास पंडालों की तस्वीरों के माध्यम से दर्शन करवाता है।    

 

शरणार्थियों का पलायन 
 

दक्षिण कोलकाता के नाकतला उदयन संघ ने ट्रेन से शरणार्थियों के पलायन पर आधारित दुर्गा पूजा पंडाल का थीम बनाया है, जिसमें देश के विभाजन के समय शरणार्थियों की पीड़ा दर्शाने के लिए पकिस्तान से उन्हें लेकर आने वाली ट्रेन बनाई गयी है।   
 


 

प्रवासी महिला के रूप में आएंगी मां
 

बारिशा क्लब के पूजा पंडाल में इस बार शरणार्थियों एवं महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों के दर्द को बयां करती हुई मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जो इनके दुखों को सजीव करती नजर आ रही हैं।इस पूजा का थीम है भागेर मां यानी एक ऐसी मां जो विभाजित हैं। इस थीम में देवी दुर्गा को एक श्रमिक वर्ग की प्रवासी महिला के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जो अपने बच्चों को महामारी के दौरान अपने साथ ले जा रही हैं। इस थीम में शरणार्थी संकट और विभाजन के बाद की पीड़ा के साथ-साथ लाखों लोगों द्वारा झेला गया दर्द बयां किया गया है, जो आजादी के दौरान हिंसा के बीच अपने पुश्तैनी घरों को छोड़ आए थे।



लॉकडाउन के शुरुआती दौर और श्रमिकों का पलायन 
 

मुंदीयाली क्लब में लॉकडाउन के शुरुआती दौर में श्रमिकों के पलायन के दृश्य पर आधरित पूजा पंडाल बनाया गया है। जिसमें थीम के माध्यम से उस दौरान का दृश्य दिखाया गया है, जब श्रमिक महानगरों को छोड़कर अपने घर की ओर आ रहे थे। इस पंडाल में डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मी, मीडियाकर्मी इन सभी कोरोना वारियर्स को भी दिखाया गया है, कि उस दौरान कैसे इन लोगों ने अपनी सेवाएं लोगों को दी। इस पंडाल साथ में यह सोच दर्शायी है कि मां दुर्गा जल्द ही देश को कोरोना से मुक्त करें। मां की प्रतिमा इस पंडाल को बनाने में 12 लाख का बजट लगा है और यह करीब डेढ़ महीने में बनकर तैयार हुआ है। 



दुबई का बुर्ज खलीफा

कोलकाता में सॉल्ट लेक सिटी के श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब में दुर्गा पूजा का एक पंडाल दुबई के बुर्ज खलीफा की तर्ज पर बनाया गया है। जिसकी चर्चा पूरे देश में है। यह पंडाल लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह 45 फीट ऊंचा है जो 6000 एक्रेलिक शीट की मदद से तैयार किया गया है। इसमें इस तरह लाइटिंग की गयी है, जिससे यह काफी शानदार दिख रहा है। 




श्रद्धांजलि


साउथ कोलकाता के त्रिधारा में इस बार पूजा पंडाल की थीम श्रद्धांजलि पर आधारित है। इस पंडाल के माध्यम से पिछले डेढ़ साल में कोरोना के दौरान जाने-माने लेखकों, कवियों, छायाकारों, पत्रकारों, अभिनेताओं, संगीतकारों, राजनेताओं और जिन लोगों ने अपने अपनों को खोया है, उन सभी दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए यह दुर्गा पूजा पंडाल समर्पित है। कलाकार बापी दास अपने कारीगरों की टीम के साथ इस विचार को अपनी रचनाओं के माध्यम से चित्रित करने का प्रयास इस पंडाल के माध्यम से किया हैं। इस पंडाल का बजट 10 लाख है। 


 

गांव की झलकियां 
 

उत्तर हावड़ा के बांधाघाट इलाके में बाजलपाड़ा रेसिडेंस ग्रुप ने इस वर्ष दर्गा पूजा पंडाल के माध्यम से गांव की झलकियां दिखाने की कोशिश की है। पूजा कमेटी के सदस्य ने बताया कि शहर में रहने वाले खासकर आज की युवा पीढ़ी गांव की जीवनशैली से बिल्कुल अनजान है, इसलिए पंडाल के माध्यम से गांव की झलकियों को दिखाने की कोशिश की गई है। मां की प्रतिमा मुर्तिकार विश्वनाथ पाल ने बनाया है। पंडाल का बजट साढ़े चार लाख रुपये है।

देखें तस्वीरें