बड़ी खबर : शादी में खिलाया 'बुफे सिस्टम' से खाना या मांगा जहेज़ तो काज़ी नहीं पढ़ाएंगे निकाह

मरकजी सुन्नी जमीअते उलेम-ए-हिंद मिर्जापुर ने अपनी एक अहम बैठक में दहेज मांगने, आतिशबाजी करवाने और शादियों में डीजे बजवाने वालों का बहिष्कार करते हुए उनके यहां निकाह न पढ़ाने का फैसला लिया है। मरकजी सुन्नी जमीअते उलेम-ए-हिंद के सरपरस्त मुफ्ती अब्दुल खालिक ने कहा कि दहेज मांगने और कार्यक्रमों में खड़े होकर खाना खिलाने, डीजे बजाने तथा आतिशबाजी करवाने वालों के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत मिर्जापुर से कर दी गई है।
 

मिर्जापुर। मरकजी सुन्नी जमीअते उलेम-ए-हिंद मिर्जापुर ने अपनी एक अहम बैठक में दहेज मांगने, आतिशबाजी करवाने और शादियों में डीजे बजवाने वालों का बहिष्कार करते हुए उनके यहां निकाह न पढ़ाने का फैसला लिया है। मरकजी सुन्नी जमीअते उलेम-ए-हिंद के सरपरस्त मुफ्ती अब्दुल खालिक ने कहा कि दहेज मांगने और कार्यक्रमों में खड़े होकर खाना खिलाने, डीजे बजाने तथा आतिशबाजी करवाने वालों के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत मिर्जापुर से कर दी गई है।

उन्होंने बताया कि कमेटी ने यह तय किया है कि जिले में जहां-जहां ये बुराइया होंगी, वहां लोगों को शरीयत के हवाले से समझाया जाएगा। इसके बाद भी न मानने वालों के यहां कोई भी काजी निकाह नहीं पढ़ाएगा। कमेटी के अध्यक्ष मौलाना नजम अली खान ने कहा कि दहेज की लगातार बढ़ रही मांग के चलते समाज के बड़े तबके में लड़कियों की शादी नहीं हो पा रही है। 

दहेज मांगने को शरियते इस्लामियां ने नाजायज करार दिया है। वहीं शादी-ब्याह और दूसरे कार्यकमों में डीजे बजाना और खड़े होकर चलते-फिरते खाना खाना तथा आतिशबाजी को भी शरियत के खिलाफ माना गया है। कमेटी के सचिव मौलाना नौशाद आलम ने कहा कि दहेज मांगने पर रोक लगाने के पीछे हमारी नीयत लोगों को शरियत पर अमल के लिए पाबंद बनाना है। 

ताकि फिजूलखर्ची और गैर शरइ तरीकों पर रोक लग सके। उन्होंने कहा कि पैगंबर इस्लाम ने निकाह, शादी, वलीमा या खाना खाने का जो तरीका बताया है उसी को अपनाना चाहिए। इसके खिलाफ चलेंगे तो खुदा और रसूल नाराज होंगे।