Surya Grahan 2023: आस्था से जुड़े वे तीर्थ जहां डुबकी लगाते ही दूर होते है सूर्य ग्रहण समेत सारे दोष

हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण की घटना का न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय महत्व भी माना गया है। हिंदू मान्यता के अनुसार अमावस्या और पूर्णिमा के दिन लगने वाले ग्रहण का संबंध उस दोष से है जो व्यक्ति की ऊर्जा को प्रभावित करता है।ज्योतिष के अनुसार इससे लगने वाले दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में न सिर्फ सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ नियमों का पालन करना बताया गया है, बल्कि उसके बाद भी धार्मिक अनुष्ठान करने की सलाह दी गई है। हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य ग्रहण से जुड़े वो तीर्थ, जहां पर जाकर स्नान-दान करने पर व्यक्ति के सभी दोष दूर होते हैं, आइए उसके बारे में विस्तार से जानते हैं। 

 

हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण की घटना का न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय महत्व भी माना गया है। हिंदू मान्यता के अनुसार अमावस्या और पूर्णिमा के दिन लगने वाले ग्रहण का संबंध उस दोष से है जो व्यक्ति की ऊर्जा को प्रभावित करता है।ज्योतिष के अनुसार इससे लगने वाले दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में न सिर्फ सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ नियमों का पालन करना बताया गया है, बल्कि उसके बाद भी धार्मिक अनुष्ठान करने की सलाह दी गई है। हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य ग्रहण से जुड़े वो तीर्थ, जहां पर जाकर स्नान-दान करने पर व्यक्ति के सभी दोष दूर होते हैं, आइए उसके बारे में विस्तार से जानते हैं। 


कुरुक्षेत्र में स्नान से दूर होता है ग्रहण का दोष
हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य ग्रहण के कारण जो नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है या फिर कहें दोष लगता है, उसे दूर करने के लिए हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र में स्थित ब्रह्म सरोवर को सबसे बड़ा तीर्थ माना गया है। हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान सभी देवी-देवता इस पावन तीर्थ पर स्नान के लिए आते हैं। मान्यता यह भी है कि द्वापर युग में पूर्णावतार माने जाने भगवान श्री कृष्ण राधा रानी के साथ यहां पर आए थे। लोगों की मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के बाद इस पवित्र सरोवर में श्रद्धा और विश्वास के साथ डुबकी लगाते ही ग्रहण समेत जीवन के सभी दोष दूर हो जाते हैं और व्यक्ति सुखी जीवन जीता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है। 

हरिद्वार में गंगा स्नान से मिलेगा पुण्यफल
सूर्य ग्रहण के बाद सप्तपुरियों में से एक हरिद्वार में स्नान और दान का बहुत ज्यादा फल माना गया है। गौरतलब है कि पतितपावनी गंगा गोमुख से निकलकर सबसे पहले मैदानी क्षेत्र में हरिद्वार ही पहुंचती है। हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य ग्रहण बाद जो कोई व्यक्ति हरिद्वार के ब्रह्मकुंड घाट पर जाकर स्नान और दान करता है, उसे पुण्यफल की प्राप्ति होती है. हिंदू मान्यता के अनुसार ब्रह्मकुंड घाट पर कभी अमृत छलक कर गिरा था। 


प्रयागराज जहां डुबकी लगाते ही मिलता है मोक्ष
हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य ग्रहण के बाद गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम यानि प्रयागराज में जाकर स्नान और दान करने का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। प्रयागराज देश के उन चार प्रमुख कुंभ क्षेत्र में से एक है जहां कभी अमृत की बूंद छलक कर गिरी थी। लोगों की मान्यता है कि तीर्थों के राजा प्रयागराज में संगम स्नान करने पर न सिर्फ सूर्य ग्रहण बल्कि जीवन के सभी दोष दूर हो जाते हैं।