जोधपुर और उदयपुर के बीच एक खूबसूरत नगरी है -रणकपुर, 15वीं शताब्दी में बना यह जैन मंदिर मुख्य आकर्षण

जब राजस्थान घूमने की बात होती है तो लोग अक्सर जयपुर या उदयपुर जैसी जगहों पर जाना अधिक पसंद करते हैं। लेकिन रणकपुर को भी आपको जरूर एक्सप्लोर करना चाहिए। जोधपुर और उदयपुर के बीच एक खूबसूरत नगरी है -रणकपुर। जहां की नैसॢगक प्राकृतिक छठा बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। ऐतिहासिक सभ्यता एवं संस्कृति को सहेजती रणकपुर भूमि ऐतिहासिक धरोहरों की प्रतीक रही है। राजस्थान की इस पावन मिट्टी में वर्षों की परंपरा की खुशबू है जिसे प्रकृति की हरी-भरी चादर ने और भी खूबसूरती से सजाया है। यहां की ग्रामीण संस्कृति और जनजीवन जितना सरल है उतना ही वैभव से भरा है। यूं तो रणकपुर 15वीं शताब्दी ईस्वी के सबसे आश्चर्यजनक जैन मंदिरों में से एक के लिए जाना जाता है। लेकिन इसके अलावा भी ऐसी कई जगहें हैं, जिन्हें आपको रणकपुर में जरूर देखना चाहिए। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको रणकपुर की कुछ ऐसी जगहों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको जरूर देखना चाहिए-

 

जब राजस्थान घूमने की बात होती है तो लोग अक्सर जयपुर या उदयपुर जैसी जगहों पर जाना अधिक पसंद करते हैं। लेकिन रणकपुर को भी आपको जरूर एक्सप्लोर करना चाहिए। जोधपुर और उदयपुर के बीच एक खूबसूरत नगरी है -रणकपुर। जहां की नैसॢगक प्राकृतिक छठा बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। ऐतिहासिक सभ्यता एवं संस्कृति को सहेजती रणकपुर भूमि ऐतिहासिक धरोहरों की प्रतीक रही है। राजस्थान की इस पावन मिट्टी में वर्षों की परंपरा की खुशबू है जिसे प्रकृति की हरी-भरी चादर ने और भी खूबसूरती से सजाया है। यहां की ग्रामीण संस्कृति और जनजीवन जितना सरल है उतना ही वैभव से भरा है। यूं तो रणकपुर 15वीं शताब्दी ईस्वी के सबसे आश्चर्यजनक जैन मंदिरों में से एक के लिए जाना जाता है। लेकिन इसके अलावा भी ऐसी कई जगहें हैं, जिन्हें आपको रणकपुर में जरूर देखना चाहिए। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको रणकपुर की कुछ ऐसी जगहों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको जरूर देखना चाहिए-

ठंडी बेरी

रणकपुर से 23 किमी की दूरी पर स्थित ठंडी बेरी एक फॉरेस्ट लॉज है, जहां से आपको प्रकृति को करीब से जानने का मौका मिलेगा। यहां आपको लक्ज़री सुविधाएं तो नहीं मिलेंगी लेकिन आप इसकी कमी को प्रकृति की खूबसूरती के साथ भूल जाएंगी। ठंडी बेरी प्रकृति को नज़दीक से जानने का मौका देती है। यह खूबसूरत जगह रोमांटिक कपल्स के लिए उपयुक्त तो है ही साथ ही योगा, मेडीटेशन के लिए एक अच्छा विकल्प है।

रणकपुर जैन मंदिर

रणकपुर का जैन मंदिर बेहद ही महत्वपूर्ण है। यह सभी जैनियों के लिए विशेष है और इसे रणकपुर में देखने के लिए सबसे अच्छे स्थानों में से एक के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदिर 4,500 वर्ग गज क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें 29 हॉल हैं। यह मंदिर 15वीं शताब्दी में बनाया गया था जब इस क्षेत्र पर राजपूत राजा राणा कुंभा का शासन था। मंदिर का निर्माण जैन व्यापारी धन्ना शाह ने करवाया था। मंदिर के चार मुख हैं। मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता इसके रंग बदलने वाले खंभे हैं। दिन के हर घंटे के बाद रंग सुनहरे से हल्के नीले रंग में बदल जाता है।

गांव सफारी

बैलगाड़ी की सवारी शायद उन लोगों की किस्मत में रही होगी जो ग्राम्य परिवेश से हैं। लेकिन शहर आकर कहीं पीछे छूट गई गांव की इस ‘एक्सप्रेस गाड़ी‘ पर बैठने का मोह आप संकरी सड़कों पर इससे सवारी करने का मोह कम से कम वे लोग तो नहीं छोड़ पाएंगे जिन्होंने ग्राम्य जीवन की झलक अब तक किताबों या फिल्मों में ही देखी है। इस सवारी से फार्म से लेकर स्थानीय दुकानों तक की सवारी कर सकते हैं।

सूर्य नारायण मंदिर

रणकपुर में यह मंदिर भी बेहद खास माना जाता है और यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पूजा-अर्चना करने आते हैं। यह मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है। मंदिर में एक मूर्ति है जिसमें सूर्य भगवान को अपने रथ पर सवार दिखाया गया है जिसे सात घोड़े खींच रहे हैं। इसके अलावा पूरे मंदिर में हर तरफ बड़ी संख्या में म्यूरल्स हैं। सूर्य नारायण मंदिर का आकार गोलाकार है। सूर्य नारायण मंदिर के बिल्कुल नजदीक अम्बा माता का मंदिर है। यह भी रणकपुर के सबसे अच्छे दर्शनीय स्थलों में से एक है।

स्टड फार्म

रणकपुर राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां का इतिहास राजा-महाराजाओं का रहा है। ऐसे में यहां आकर घोड़े की सवारी किए बिना बात नहीं बनेगी। इस सवारी के साथ आपको स्टड फार्म तक ले जाया जाएगा जहां घोड़ों की विभिन्न नस्लों को देख और उसकी सवारी कर सकते हैं।

नारलाई

यह एक छोटा सा गांव है जो रणकपुर शहर से लगभग 6 किलोमीटर दूर है। यह रणकपुर में घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है। इसे कई हिंदू मंदिरों के लिए जाना जाता है। सबसे प्रसिद्ध जैन मंदिर पहले तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है। इस स्थान की एक और विशेषता यहां खोदे गए गहरे कुएं हैं। इस स्थान पर इनकी संख्या काफ़ी है। इनका उपयोग लोग पीने के लिए करते हैं।

रणकपुर बांध

रणकपुर से 2 किमी दूर स्थित रणकपुर बांध एक प्राकृतिक दर्शनीय स्थल है। इतिहास में यह बांध जोधपुर के राजा-रानी के विश्राम और शांति का स्थल था। अरावली पर्वत से घिरा यह बांध प्राकृतिक रूप से काफी समृद्ध है।

रणकपुर जंगल सफारी

रणकपुर में घूमने की बेहतरीन जगहों में से एक रणकपुर जंगल सफारी है जो आपको इस स्थान के खूबसूरत नजारों को करीब से निहारने का अवसर प्रदान करेगा। जंगल सफारी के दौरान आप रंग-बिरंगे पक्षियों, विभिन्न प्रकार के जानवरों और वनस्पतियों आदि को देख सकते हैं और उनकी कुछ यादगार तस्वीरें निहार सकते हैं।

जवाई बांध

1957 में महाराजा उमेद सिंह द्वारा निॢमत यह बांध आज पूरे जोधपुर शहर के पानी का मुख्य स्रोत है। व्यवसायिक रूप से जहां इस बांध को पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े बांध होने का गौरव प्राह्रश्वत है वहीं दूसरी ओर यह पर्यटकों के भी प्रिय जगहों में से एक है। यह बांध प्रवासी पक्षियों का भी मुख्य स्थल है। रणकपुर के गांव की सवारी के लिए यहां के स्थानीय बैलगाड़ी पर्यटकों के लिए सबसे अच्छी सवारी है।


मुच्छल महावीर मंदिर

भगवान महावीर को समर्पित यह मंदिर रणकपुर दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए सबसे अच्छी जगह है। यह मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के पाली जिले के घाणेराव में स्थित है। यह मंदिर फालना से कुंभलगढ़ जाने वाले मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर का एक और मुख्य आकर्षण वह मेला है जो हर साल चैत्र महीने के हर तेरहवें दिन मंदिर में आयोजित किया जाता है। यह मंदिर हिंदू भगवान शिव की मूंछों वाली मूर्ति के लिए जाना जाता है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर हाथियों की दो मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं जो सुरक्षा की मुद्रा में खड़ी हैं।