बेस्‍ट टूरिज्‍म विलेज माने जाते हैं भारत के ये 3 गांव, यहां की प्राकृतिक सौन्दर्यता आपको करेगी आकर्षित, एक बार जरुर करें विजिट

अगर इस वीकेंड आप किसी ऐसे जगह घूमने की प्लानिंग कर रहे, जहां शांत वातावरण हो, शोर-शराबे की दुनिया से दूर कुछ सुकून भरे पल गुजार सके। तो फिर हम आपके लिए इस बार कुछ अलग खूबसूरत डेस्टिनेशन प्लेस की जानकारी लेकर आए है। इस बार हम किसी टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर नहीं, ​बल्कि आपको ऐसे गांव के बारे में बताएंगे, जो कोई साधारण गांव नहीं हैं। इन्हें विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त हो चुकी है। बीते वर्ष इन गांवों को यूनाइटेड नेशन्‍स वर्ल्‍ड टूरिज्‍म ऑर्गेनाइजेशन अवॉर्ड (United Nations World Tourism Organization Award) के लिए बेस्‍ट टूरिज्‍म विलेज की कैटेगरी में नॉमिनेट किया जा चुका है। तो चलिए जानते है इन गांवों की विशेषता के बारे में।
 

अगर इस वीकेंड आप किसी ऐसे जगह घूमने की प्लानिंग कर रहे, जहां शांत वातावरण हो, शोर-शराबे की दुनिया से दूर कुछ सुकून भरे पल गुजार सके। तो फिर हम आपके लिए इस बार कुछ अलग खूबसूरत डेस्टिनेशन प्लेस की जानकारी लेकर आए है। इस बार हम किसी टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर नहीं, ​बल्कि आपको ऐसे गांव के बारे में बताएंगे, जो कोई साधारण गांव नहीं हैं। इन्हें विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त हो चुकी है। बीते वर्ष इन गांवों को यूनाइटेड नेशन्‍स वर्ल्‍ड टूरिज्‍म ऑर्गेनाइजेशन अवॉर्ड (United Nations World Tourism Organization Award) के लिए बेस्‍ट टूरिज्‍म विलेज की कैटेगरी में नॉमिनेट किया जा चुका है। तो चलिए जानते है इन गांवों की विशेषता के बारे में।

हम बात कर रहे हैं तेलंगाना के पोचमपल्ली (Pochampally Village), मेघालय के कोंगथोंग गांव (Kongthong Village) और मध्य प्रदेश के लाधपुरा खास गांव (Ladpura Khas Village) की। आइए जानते है कि ऐसा क्या इन तीन गांव में इतना खास। 

लाधपुरा खास गांव

लाधपुरा खास गांव मध्य प्रदेश टीकमगढ़ जिले की ओरछा तहसील में है। ओरछा आने वाले पर्यटक जब इस गांव की तरफ बढ़ते हैं, तो एक अलग ही वातावरण देखने को मिलता है। यहां का शांत, शुद्ध और प्राकृतिक वातावरण लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस क्षेत्र में बुंदेलखंड के प्राचीन साम्राज्य और अवशेषों के बारे में जानकारी मिलती है। साथ ही पारंपरिक खान-पान और पहनावे से यहां की संस्कृति से भी परिचय होता है।


कोंगथोंग गांव

शिलॉन्ग से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित कोंगथोंग गांव अपने प्राकृतिक सौंदर्य और विशिष्ट संस्कृति के लिए बहुत लोकप्रिय है। सुंदर पहाड़ों, झरनों और देवदार के पेड़ों से घिरी घाटी की प्राकृतिक सुंदरता के अलावा कोंगथोंग में एक अजीबोगरीब प्रथा है। यहां बच्चे का नाम नहीं रखा जाता। जन्म के समय मां के दिल से जो भी धुन निकलती है, वो धुन उसे सौंप दी जाती है। जीवनभर उस बच्चे को उसी धुन से पुकारा जाता है। गांव में बातें कम और धुनें अधिक सुनाई देती हैं। इस कारण से गांव को ‘व्हिस्लिंग विलेज’ के नाम से भी जाना जाता है।

पोचमपल्‍ली गांव

हैदराबाद से लगभग 40 किलोमीटर दूर तेलंगाना के नलगोंडा जिले का पोचमपल्‍ली गांव अपनी बुनाई शैली और इकत साड़ियों के लिए जाना जाता है। पोचमपल्ली को रेशम का शहर माना जाता है इसलिए ये गांव सिल्‍क सिटी के नाम से भी विख्यात है। इस गांव में 10 हजार हरकरघे हैं। यहां की साड़ि‍यां भारत समेत श्रीलंका, मलेशिया, दुबई, यूरोप और फ्रांस समेत कई देशों में भेजी जाती हैं।

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