BHU विश्वनाथ मंदिर के इतिहास से जुड़ी वो 10 बातें जो शायद आप नहीं जानते
1. सन् 1916 में बीएचयू की स्थापना के बाद से ही महामना मदन मोहन मालवीय के मन में परिसर के भीतर एक भव्य विश्वनाथ मंदिर बनाने की योजना थी। मालवीय जी इस मंदिर का शिलान्यास किसी महान तपस्वी से ही कराना चाहते थे।
2. किसी सिद्ध योगी की तलाश में प्रयासरत मालवीय जी को स्वामी कृष्णाम नामक महान तपस्वी के बारे में पता चला। स्वामी कृष्णाम देश-दुनिया से दूर हिमालय पर्वतमाला में गंगोत्री ग्लेशियर से 150 कोस आगे काण्डकी नाम की गुफा में वर्षों से तप कर रहे थे।
3. सन् 1927 में मालवीय जी ने सनातन धर्म महासभा के प्रधानमंत्री गोस्वामी गणेशदास जी को स्वामी कृष्णाम के पास भेजकर मंदिर का शिलान्यास करने का निवेदन किया।
4. हमेशा साधना में लीन रहने वाले तपस्वी कृष्णाम स्वामी को मनाने में गोस्वामी गणेशदास जी को भी चार साल लग गए।
5. आखिरकार 11 मार्च सन् 1931 को स्वामी कृष्णाम के हाथों मंदिर का शिलान्यास हुआ। इसके बाद मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। दुर्भाग्य से मंदिर का निर्माण मालवीय जी के जीवन काल में पूरा ना हो सका।
6. मालवीय जी के निधन से पूर्व उद्योगपति जुगलकिशोर बिरला ने उन्हें भरोसा दिलाया कि हर हाल में बीएचयू परिसर के भीतर भव्य मंदिर का निर्माण होगा और इसके लिए धन की कभी कोई कमी नहीं आएगी।
7. सन 1954 तक शिखर को छोड़कर मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो गया।
8. 17 फरवरी सन् 1958 को महाशिवरात्रि के दिन मंदिर के गर्भगृह में नर्मदेश्वर बाणलिंग की प्रतिष्ठा हुई और भगवान विश्वनाथ की स्थापना इस मंदिर में हो गयी। मंदिर के शिखर का कार्य वर्ष 1966 में पूरा हुआ।
9. मंदिर के शिखर पर सफेद संगमरमर लगाया गया और उनके ऊपर एक स्वर्ण कलश की स्थापना हुई। इस स्वर्णकलश की ऊंचाई 10 फिट है, तो वहीं मंदिर के शिखर की ऊंचाई 250 फिट है।
10. यह मंदिर भारत का सबसे ऊंचा शिवमंदिर है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर के ठीक बीचो-बीच स्थित यह मंदिर 2,10,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में स्थित है।
ये जानकारी आपको कैसी लगी कृपया कमेंट बॉक्स में जाकर अपनी राय अवश्य लिखिएगा। जानकारी अच्छी लगे तो शेयर बटन के माध्यम से इसे फेसबुक या ट्विटर पर अपने दोस्तों के बीच शेयर करना ना भूलें।