इस मानसून बनाएं चिकमगलूर हिल स्टेशन घूमने का प्लान,प्रकृति का मिलेगा सानिध्य
कर्नाटक की राजधानी बंगलौर से 251 किलोमीटर दूरी पर बसा रमणीक स्थल चिकमगलूर बाबा बुद्धन पहाड़ियों के बीच स्थित है। यहां के दर्शनीय स्थलों में केमानगुंडी का नाम पहले आता है। यह स्थान चिकमगलूर से 55 किलोमीटर दूर है जोकि एक अद्वितीय हिल स्टेशन है। यह बाबा बुद्धन पर्वत श्रृंखला में 1,434 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह हिब्बी प्रपात से 8 किलोमीटर दूर है जहां पानी 168 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। इसके अलावा यहां कलहरी प्रपात भी है जहां पानी 122 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। इसके अलावा और भी घूमने के लिए चिकमगलूर के आसपास कई जगहें और हिल स्टेशन है। जहां आपको जाकर प्रकृति का पूरा सानिध्य मिलेगा।
कर्नाटक की राजधानी बंगलौर से 251 किलोमीटर दूरी पर बसा रमणीक स्थल चिकमगलूर बाबा बुद्धन पहाड़ियों के बीच स्थित है। यहां के दर्शनीय स्थलों में केमानगुंडी का नाम पहले आता है। यह स्थान चिकमगलूर से 55 किलोमीटर दूर है जोकि एक अद्वितीय हिल स्टेशन है। यह बाबा बुद्धन पर्वत श्रृंखला में 1,434 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह हिब्बी प्रपात से 8 किलोमीटर दूर है जहां पानी 168 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। इसके अलावा यहां कलहरी प्रपात भी है जहां पानी 122 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। इसके अलावा और भी घूमने के लिए चिकमगलूर के आसपास कई जगहें और हिल स्टेशन है। जहां आपको जाकर प्रकृति का पूरा सानिध्य मिलेगा।
यहां से 530 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में एक अति प्राचीन ऐतिहासिक नगर बीजापुर है। यदि आपके पास समय हो तो आप इसे भी देखने जा सकते हैं। यह आदिलशाही वंश की राजधानी थी। इससे पहले इस क्षेत्र पर चालुक्य वंश के हिंदू राजाओं का शासन था। इसलिए बीजापुर और उसके आसपास अनेक ऐसी ऐतिहासिक धरोहरें हैं जिनमें हिंदू और मुस्लिम स्थापत्य कला का मिलाजुला असर दिखाई पड़ता है।
यहां के दर्शनीय स्थलों में गोल गुंबद, जुम्मा मस्जिद, इब्राहिम रोजा और मलिक−ए−मैदान प्रमुख हैं। मोहम्मद आदिल शाह की ऐतिहासिक इमारत गोल गुंबद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गुंबद है। इसका घेरा 44 मीटर है। गुंबद का अंदरूनी भाग बिना किसी आधार के टिका है जिसे देख कर आश्चर्य होता है। यहां एक गैलरी भी है जिसकी निर्माण कला देखते ही बनती है।
ऐतिहासिक महत्व की जुम्मा मस्जिद संभवतः भारत की पहली मस्जिद भी है। इस कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। यहां स्वर्णाक्षरों में लिखी कुरान की एक अनमोल प्रति भी है जोकि सैलानियों को आकर्षित करती है।
इब्राहिम रोजा आदिल शाह द्वितीय की कब्रगाह है। देखने पर यह ताजमहल की नकल तो नहीं लगती पर यह काफी हद तक ताजमहल से ही प्रेरित होकर बनाई गई लगती है। शायद इसीलिए यहां भी सैलानियों का काफी जमावड़ा लगा रहता है।
मलिक−ए−मैदान में विश्व की सबसे बड़ी तोप रखी गई है जोकि 14 फुट लंबी और 44 टन भारी है। इस तोप को देखने के लिए यहां सैलानियों की भारी भीड़ लगी रहती है। इन सब स्थलों के अलावा आप मितर महल, जोड़ गुंबद, असार महल, आनंद महल, अर्क किला आदि भी देखने जा सकते हैं।