वाराणसी के चंदौली में स्थित है लतीफ़ शाह डैम, बरसात में बढ़ जाती है इसकी खूबसूरती 

लतीफ-शाह बांध भारत में सबसे पुराने बांधों में से एक है। यह चंदौली जि‍ले के चकि‍या तहसील में आता है। लतीफ-शाह डैम को 1921 में पूरा कि‍या गया था। यह कर्म-नशा नदी पर बनाया गया है। बांध द्वारा बनाए गए जलाशय मुख्य रूप से सिंचाई और मानव उपभोग के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा स्‍थानीय और आस पास के जि‍लों के लोग यहां पि‍कनि‍क मनाने भी आते हैं। यहां लोग एक दि‍न की यात्रा पर ही आते हैं।

 

लतीफ-शाह बांध भारत में सबसे पुराने बांधों में से एक है। यह चंदौली जि‍ले के चकि‍या तहसील में आता है। लतीफ-शाह डैम को 1921 में पूरा कि‍या गया था। यह कर्म-नशा नदी पर बनाया गया है। बांध द्वारा बनाए गए जलाशय मुख्य रूप से सिंचाई और मानव उपभोग के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा स्‍थानीय और आस पास के जि‍लों के लोग यहां पि‍कनि‍क मनाने भी आते हैं। यहां लोग एक दि‍न की यात्रा पर ही आते हैं।

यहां कोई होटल आदि‍ नहीं है, स्‍नैक्‍स और पेय पदार्थ के लि‍ये यहां कोई बड़ा भोजनालय भी नहीं है। पि‍कनि‍क मनाने के उद्देश्‍य से यहां आने वाले लोग अपने साथ भोजन पकाने का सामान भी लेकर आते हैं। लतीफ शाह डैम का पानी अत्‍यधि‍क गहरा होने के कारण यहां स्‍नान करना काफी खतरनाक है। हर साल कई लोग इस डैम में डूबकर अपनी जान गंवा देते हैं।

लतीफ-शाह बांध भारत में सबसे पुराने बांधों में से एक है। यह चंदौली जि‍ले के चकि‍या तहसील में आता है। लतीफ-शाह डैम को 1921 में पूरा कि‍या गया था। यह कर्म-नशा नदी पर बनाया गया है। बांध द्वारा बनाए गए जलाशय मुख्य रूप से सिंचाई और मानव उपभोग के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा स्‍थानीय और आस पास के जि‍लों के लोग यहां पि‍कनि‍क मनाने भी आते हैं। यहां लोग एक दि‍न की यात्रा पर ही आते हैं।