अगर चार धाम जाने का बना रहे हैं प्लान तो इन बातों का रखें विशेष ख्याल 

अगर आप चार धाम की यात्रा के बारे में प्लान कर रहे हैं तो आज हम आपको चार धाम यात्रा को लेकर सभी जरूरी बातों के बारे में बताएंगे। इससे आपको चार धामों की यात्रा में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो। हिमालय की चारधाम यात्रा धर्मनगरी हरिद्धार और तीर्थनगरी ऋषिकेश से शुरू होती है, लेकिन शास्त्रों में इसकी शुरुआत यमुनोत्री धाम से मानी गई है  लेकिन आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी धाम से यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं। आपको बता दें कि हर साल अक्षय तृतीया से चार धाम यात्रा की शुरुआत होती है और भाईदूज के दिन विधि विधान से पूजा कर के बद्रीनाथ और केदारनाथ का पट बंद कर दिया जाता है। 

 

अगर आप चार धाम की यात्रा के बारे में प्लान कर रहे हैं तो आज हम आपको चार धाम यात्रा को लेकर सभी जरूरी बातों के बारे में बताएंगे। इससे आपको चार धामों की यात्रा में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो। हिमालय की चारधाम यात्रा धर्मनगरी हरिद्धार और तीर्थनगरी ऋषिकेश से शुरू होती है, लेकिन शास्त्रों में इसकी शुरुआत यमुनोत्री धाम से मानी गई है  लेकिन आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी धाम से यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं। आपको बता दें कि हर साल अक्षय तृतीया से चार धाम यात्रा की शुरुआत होती है और भाईदूज के दिन विधि विधान से पूजा कर के बद्रीनाथ और केदारनाथ का पट बंद कर दिया जाता है। 

यमुनोत्री  
उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री धाम की चार धाम यात्रा का प्रथम पडाव माना गया है। समुद्र तल से 3235 मीटर (10610फीट) की ऊंचाई पर स्थित यमुनोत्री धाम से एक किमी. की दूरी पर चंपासर ग्लेशियर है, जो यमुनाजी का मूल उद्गम है। समुद्र तल से इस ग्लेशियर की ऊंचाई 4421 मीटर है। यमुनोत्री धाम पहुंचने के लिए जानकीचट्टी से छह किमी, की खड़ी चढाई पैदल तय करनी पड़ती है। यहां पर स्थित यमुना मंदिर का निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीँ सदी में करवाया था |

यमुनोत्री यात्रा मार्ग 
ऋषिकेश से शुरू होने वाली यमुनोत्री यात्रा के मार्ग में भी कई तीर्थ पड़ते हैं। खासकर गंगनानी में प्रयाग से पूर्व होने वाले गंगा व यमुना की धाराओं के संगम, ऋषि जमदाग्नि मंदिर, हर्षिल में हरि शिला, हनुमानचट्टी में हनुमान मंदिर और यमुनोत्री के शीतकालीन पड़ाव खरसाली में यमुना मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। 

गंगोत्री 
उत्तरकाशी जिले में समुद्र तल से 3102मीटर (10176 फीट) की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री धाम में माँ गंगा की पूजा होती है। स्वर्ग से उतरकर गंगाजी ने पहली बार गंगोत्री में ही धरती का स्पर्श किया। बताते हैं कि गंगाजी के मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने करवाया था। वैसे, गंगाजी का वास्तविक उद्गम गंगोत्री से 19 किमी. की दूरी पर गोमुख में है, लेकिन श्रद्धालु गंगोत्री में ही गंगाजी के प्रथम दर्शन करते हैं। 

गंगोत्री यात्रा मार्ग   
ऋषिकेश से शुरु होने वाली इस यात्रा पथ में आप उत्तरकाशी में भगवान विश्वनाथ व शक्ति मंदिर, भास्कर प्रयाग, गंगनानी में गर्म पानी का कुंड, धराली में पौराणिक शिव मंदिर समूह, मुखवा में गंगाजी के शीतकालीन पड़ाव और भैरवघाटी में माँ गंगा के क्षेत्रपाल भैरवनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।

केदारनाथ 
रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से 3553 मीटर (11654 फीट) की ऊंचाई पर मन्दाकिनी व सरस्वती नदी के संगम पर स्थित केदारनाथ धाम का देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में विशेष स्थान है। 2013 की आपदा में केदारपुरी पूरी तरह तहस-नहस हो गई थी। सिवाय मंदिर के वहां कुछ भी नहीं बचा, लेकिन तेजी से हुए पुनर्निर्माण कार्यों के चलते अब केदारपुरी पहले से भी खूबसूरत हो गई है। केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए गोरीकुंड से 16 किमी. की चढाई पैदल तय करनी पड़ती है। 

केदारनाथ यात्रा मार्ग 
केदारनाथ की यात्रा भी ऋषिकेश से शुरु होती है, लेकिन रुद्रप्रयाग से इसका मार्ग अलग हो जाता है। इस मार्ग पर ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग के मध्य पड़ने वाले तीर्थों के अलावा अगस्त्यमुनि में महर्षि अगस्त्य मंदिर, गुप्तकाशी में भगवान विश्वनाथ, कालीमठ में महाकाली, त्रियुगीनारायण में भगवान त्रियुगीनारायण और गोरीकुंड में माँ गौरा माई के दर्शन कर सकते हैं। 

बद्रीनाथ 
अलकनंदा के तट पर बद्रीनाथ धाम स्थित है। समुद्र तल से 3133 मीटर (10276 फीट) की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में आद्य गुरु शंकराचार्य ने करवाया था। 

बद्रीनाथ यात्रा मार्ग 
बद्रीनाथ धाम की यात्रा ऋषिकेश से शुरू होती है। इस मार्ग पर देवप्रयाग पड़ता है। यहां से आगे यात्री श्रीनगर में कमलेश्वर महादेव, कलियासौड में सिद्धपीठ धारी देवी, रुद्रप्रयाग में अलकनंदा व मंदाकिनी नदी के संगम, कर्णप्रयाग में अलकनंदा व पिंडर नदी के संगम, नंदप्रयाग में अलकनंदा व मंदाकिनी नदी के संगम, जोशीमठ में भगवान नृसिंह बदरी, शंकराचार्य व त्रिकुटाचार्य की गुफा, विष्णुप्रयाग में अलकनंदा व धोली गंगा के संगम और पांडुकेश्वर में योग-ध्यान बदरी व कुबेरजी के दर्शन कर सकते हैं। बद्रीनाथ धाम से तीन किमी. आगे देश का अंतिम गावं माणा पड़ता है। इसके आसपास यात्री व्यास गुफा, गणेश गुफा, सरस्वती मंदिर, भीम पुल, वसुधारा आदि के दर्शन कर सकते हैं। 

ऐसे पहुंचें चारधाम
चारधाम दर्शन के लिए आने वाले यात्री हवाई जहाज से सीधे देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट अथवा रेल से सीधे ऋषिकेश पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश से संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति की देखरेख में यात्रा का संचालन होता है। समिति में नौ परिवहन कम्पनियां शामिल हैं, जिनके पास 1549 बसों का बेड़ा है। वहीं आप अपनी कार से भी यात्रा के लिए जा सकते हैं। इस तरह आप अपनी चार धाम की यात्रा आसानी से पूरी कर सकते हैं। 

देखें वीडियो 

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